कुछ लोगों के लिए अभी भी अर्बन गार्डनिंग (Urban Farming) एक नया शब्द हो सकता है. लेकिन देश में लगातार अर्बन गार्डनिंग (Urban Farming) को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में दिल्ली सरकार ने भी अर्बन फार्मिंग (Urban Farming by Delhi Government) के लिए एक स्कीम की घोषणा की है. इससे दिल्लीवासियों को ट्रेनिंग प्रोग्राम (Training Program) के तहत घर में ही बागवानी से लेकर वेस्ट मैनेजमेंट के तरीके (From Horticulture to Waste Management Methods) बताये जायेंगे.
क्या है अर्बन फार्मिंग (What is Urban Farming)
अर्बन फार्मिंग को आसान भाषा में शहरी खेती भी कहते हैं. शहरी खेती में खाद्य उत्पादन परियोजनाओं और गतिविधियों की एक श्रृंखला शामिल है. इस तरह की खेती में लोग स्वयं अपना भोजन उगाकर कृषि क्षेत्र से जुड़ रहे हैं. तेजी से बढ़ रही अर्बन फार्मिंग ने समुदायों को पोषण और आर्थिक अवसर पैदा करने की क्षमता प्रदान करता है.
अर्बन गार्डनिंग को शुरू करने का लक्ष्य (Goal to start Urban Gardening)
दिल्ली सरकार ने शहरी खेती के लिए एक मेगा अभियान (Mega Campaign for Urban Farming) शुरू करने का फैसला किया है. स्वास्थ्य में सुधार के लिए भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने और रासायनिक उत्पादों की अत्यधिक खपत को कम करने के लिए 25 अप्रैल को एक गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. बता दें कि इस अभियान के लिए बागवानी विभाग, नोडल विभाग होगा.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (Delhi Environment Minister Gopal Rai) ने कहा कि "गोलमेज सम्मेलन में पूसा संस्थान के सरकारी अधिकारी, अनुसंधान संगठन और क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होंगे. साथ ही दिल्ली वार्ड-स्तरीय पर्यावरण कार्य योजना तैयार करने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा"
जगह का होगा सही इस्तेमाल, मिलेगी अच्छी सेहत (Proper use of space & good health)
राय ने अपने एक बयान में कहा कि "दिल्लीवासी अपने रोजमर्रा के जीवन में रासायनिक उत्पादों की अत्यधिक खपत को कम करने और शहरी खेती के माध्यम से स्वास्थ्य में सुधार करने में सक्षम होंगे. शहरी खेती की अवधारणा दिल्ली में हर किसी को अपने घरों में रोजमर्रा के फल, सब्जियां और अन्य आवश्यकताएं लगाने के लिए प्रोत्साहित करना और सक्षम करना है. जिन दिल्लीवासियों के पास छतों, बरामदे हैं जहां धूप की पहुंच है, वे अपने घरों में शहरी खेती शुरू कर सकते हैं और दिन-प्रतिदिन के आधार पर उनकी जरूरतों को पूरा करने में मदद करते हैं, सभी अपने शहर के पर्यावरण को बेहतर बनाने और संरक्षित करने में योगदान करते हैं".
“इस पद्धति का उपयोग देश के विभिन्न शहरों के साथ-साथ दुनिया में भी किया जा रहा है.25 अप्रैल को दिल्ली सचिवालय में होने वाले इस सम्मेलन में इन तकनीकों को पूरी दिल्ली में कैसे लागू किया जाए, इस पर चर्चा होगी.
इन 2 उद्देश्यों पर काम करेगी अर्बन फार्मिंग स्कीम (Urban farming scheme will work on these 2 objectives)
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इस उद्देश्य के लिए दो अहम कारकों पर एक प्राथमिक प्रस्ताव विकसित किया जाएगा.
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पहले पूसा इंस्टीट्यूट की मदद से पूरी दिल्ली में लोगों को ट्रेनिंग (Training Programs) दी जाएगी, जिसमें वार्ड-दर-वार्ड आधार पर लोगों को लक्षित कर रहे हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एमसीडी, एनडीएमसी और कैंट बोर्ड के तहत आने वाले सभी वार्डों की गिनती करते हुए दिल्ली में 300 वार्ड हैं.
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दूसरा, पूरी पहल शीतकालीन कार्य योजना की तर्ज पर जागरूकता अभियानों के समर्थन से चलेगी, जिसमें संभावना में आरडब्ल्यूए, बाजार संघों और गैर सरकारी संगठनों को शामिल किया जाएगा.
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि, "लोगों को प्रशिक्षित करने, जागरूकता पैदा करने और लोगों को शहरी कृषि क्रांति में शामिल करने के लिए, हमने दिल्ली पर्यावरण संरक्षण समिति की स्थापना का प्रस्ताव रखा है. हम समझते हैं कि एक बार जब लोग शहरी खेती शुरू करते हैं, तो उन्हें बीज, बैग, मिट्टी, उपकरण के साथ-साथ प्रशिक्षण जैसी सामग्री की खरीद करने की आवश्यकता होगी, जिसके बाद हम एक पैनल बनाएंगे जहां से आवश्यक इन्वेंट्री की खरीद की जा सकती है. उन्हें बस एक फोन कॉल करना होगा और वहां से अपनी सभी जरूरतों को पूरा करना होगा".
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