चेन्नई के महाबलीपुरम में 17 अक्टूबर, 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ आयोजित किया जाएगा. इस सम्मलेन का उद्देश्य मत्स्य पालन में जलवायु परिवर्तन को शामिल करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मत्स्य पालन प्रबंधन उपायों को मजबूत बनाना है. इस सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, परशोत्तम रुपाला और मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, डॉ. एल. मुरुगन के द्वारा किया जाएगा और साथ ही इस दौरान इस सम्मलेन को संबोधित भी करेंगे. सम्मेलन में समुद्री मत्स्य पालन में जलवायु-परिवर्तन से उत्पन्न स्थितियों को अपनाने के लिए भारत की तैयारियों पर विचार-मंथन होगा. इसके अलावा इसमें अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थान, सामुदायिक संगठन और उद्यमी अपने नवाचारों और गतिविधियों को भी प्रदर्शित करेंगे.
वहीं, 17 अक्टूबर, 2023 को एक अतिरिक्त कार्यक्रम ‘‘मत्स्य पालन प्रबंधन के लिए लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) को मुख्यधारा में लाना’’ विषय पर एक कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी. जिसमें छात्रों के बीच एक राष्ट्रव्यापी प्रतियोगिता से चुने गए 25 लाइफ विचार शामिल होंगे.
समुद्री मछली स्टॉक मत्स्य प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती
जानकारी के लिए बता दें कि एफएओ कार्यशाला के साथ-साथ समुद्री मत्स्य पालन में जलवायु परिवर्तन को अपनाने के लिए भारत की तैयारियों पर यह सम्मेलन विचार-मंथन सत्र का भी आयोजन करेगा. यह सत्र 17-18 अक्टूबर 2023 को होगा, जिसमें भारत सरकार और अन्य सरकारी व निजी एजेंसियों द्वारा की गई प्रमुख पहलों को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया जाएगा.
देखा जाए तो जलवायु-परिवर्तन दुनिया भर में समुद्री मछली स्टॉक के वितरण में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहा है. हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि इस सदी के अंत तक, साझा समुद्री मछली भंडार का लगभग आधा हिस्सा स्थानांतरित हो जाएगा. समुद्री मछली स्टॉक का यह स्थानांतरण मौजूदा मत्स्य प्रबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसका मुख्य कारण जलवायु-परिवर्तन है. जलवायु-परिवर्तन मछली भंडार को कैसे प्रभावित करता है, इसकी गहरी समझ, जलवायु-परिवर्तन के अनुरूप 17 अक्टूबर के दिन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया है. यह प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण कार्यक्रम साबित होगा.
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सम्मेलन में ये संगठन होंगे शामिल
इस सम्मेलन में खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के वरिष्ठ अधिकारी, क्षेत्रीय मत्स्य निकायों (RFB) के प्रतिनिधि, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान और तटीय राज्य सरकारों के प्रतिनिधि भाग लेंगे.
इसके अतिरिक्त तमिलनाडु का डॉ. जे. जयललिता मत्स्य पालन विश्वविद्यालय, कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सत्यभामा विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान और विभिन्न उद्योगों और मछुआरा सहकारी समितियों के प्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. (साभार: PIB)
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