कृषि क्षेत्र को सफल और मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार अलग - अलग योजनाएं एवं बीमा चला रही है. इसी के तहत केंद्र सरकार ने हाल ही में कृषि अधोसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया है. इस विषय पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भोपाल के मिंटो हॉल में बीज ग्रामों के शुभारंभ और कृषि अधोसंरचना निधि वितरण कार्यक्रम में इस विषय पर विशेष जानकारी दी.
इस पर चर्चा करते हुए कृषि मंत्री तोमर ने कहा की इसी तरह हम और हमारी सरकार किसानों के साथ है और उनके हित के लिए निरंतर काम करते आ रहे हैं. केंद्र सरकार की सभी योजना के पीछे सिर्फ एक मकसद है, किसानों को और मजबूत और सुखी बनाना. आवश्यकता के हिसाब से इस योजना में बदलाव किये जा रहे हैं और आगे भी जरुरत पड़ने पर बदलाव होने की संभावना तोमर ने जताई.
तोमर ने कहा कि अब कृषि मंडियों को भी अपनी इनकम बढ़ाने का मौका मिलेगा. वो चाहें तो इस फण्ड का इस्तेमाल कर सकती हैं. मंडी समितियां चाहें, तो इस फण्ड का इस्तेमाल कर वो गोदाम, कोल्डस्टोरेज या बड़े शहरों की वेयर हाउस अपनी सहूलियत के हिसाब से बना सकती हैं. ये उन्हें सामानों को सही और सुरक्षित ढांड से रखने में काम आएगा, ताकि वो सही समय आने पर सही दाम में अपनी फसलों को बेच सकें.
कृषि मंत्री के मुताबिक कृषि कानून बिल के बाद किसानों के मन में डर था कहीं मंडियां बंद ना हो जाए. लेकिन इस डर को मिटने और उनकी आय को सुरक्षित रूप से बढ़ाने के लिए सरकार ने ये फैसला लिया और उन्हें इस फण्ड से जोड़ा.
तोमर ने नए कृषि सुधार कानून से जुड़ी कुछ बातें भी बताईं:
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इससे किसान स्वतंत्र हो जाएगा
मंडी की फ़ीस कम हो जाएगी
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मंडियों को नुकसान न हो इसके लिए कृषि उपज मंडी और अन्य एजेंसियां भी एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का लाभ ले सकती हैं.
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मंडी चाहें तो वो अपने हिसाब से कोल्डस्टोरेज और वेयरहाउस जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर बनाकर अपनी आय का साधन बढ़ा सकती हैं.
तोमर ने बड़ी मंडियों और बड़े बड़े जिलों पर निशाना साधते हुए कहा कि देखना जाए तो कोल्डस्टोरेज, वेयर हाउस तो बने हैं, लेकिन वो जिला या बड़ी मंडी के पास बने हैं. दूर होने के कारण इसका फायदा छोटे किसानों को नहीं मिल रहा, बल्कि व्यापारी और एफसीआई को मिल रहा है. नतीजतन किसानों को अपनी फसलों को बेचने के लिए मंडी तक का सफर तय करना पड़ता है.
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