बारिश का पानी खेतों के लिए जितना फायदेमंद होता है, तो वहीं इसकी ज्यादा मात्रा फसलों को बर्बाद कर देती है. हाल ही में राजधानी दिल्ली सहित देशभर के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई और आगे भी बारिश होने का अनुमान लगाया जा रही है. ऐसे में बेमौसम की बारिश के कई फायदे और नुकसान हैं.
इस बारिश से जहां धान की फसल को फायदा हो रहा है, तो वहीं तिलहन, दलहन, फल और सब्जियों की फसल को खासा नुकसान पहुंच रहा है. किसान भी इससे परेशान दिख रहे हैं. ऐसे में किसानों की इन समस्याओं को देखते हुए पूसा के वैज्ञानिकों ने बारिश से बचाव के लिए जरुरी एडवायजरी जारी की है.
सरसों में चेपा रोग लगने पर बचाव (Prevention Of Chepa Disease In Mustard)
बता दें कि सरसों की फसल में चेपा कीट लगने की संभावना रहती है, इसलिए फसलों को नुकसान से बचाने के लिए पूसा के वैज्ञानिकों ने बताया कि जब सरसों की फसल पर चेपा कीट का प्रकोप हो, तो फसल पर पूरी निगरानी रखनी चाहिए. इसके आलवा अधिक कीट पाए जाने पर इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.25 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़क देना चाहिए.
चने की फसल में छेदक कीट का प्रकोप (Infestation Of Borer Pest In Gram Crop)
वैज्ञानिकों के अनुसार, बारिश के मौसम की वजह से चने की फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप होने की सम्भावना बढ़ जाती है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही फसल में फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं. इसके अलावा कीटों के नियंत्रण के लिए खेत में और उसके आसपास “टी” आकार के पक्षी पर्च स्थापित करें.
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गोभीवर्गीय फसलों में कीट का प्रकोप (Insect Outbreak In Cabbage Crops)
बारिश के चलते गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक जैसे कीटों का प्रकोप बढ़ता है, तो ऐसे में फसल में फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं.
कद्दूवर्गीय सब्जियों में कीटों का प्रकोप (Infestation Of Pests In Pumpkin Vegetables)
बारिश के मौसम में कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल की तैयारी करने का समय होता है. ऐसी सब्जियों के अगेती फसल के पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थैलों में भरकर पॉली घरों में रखें. इस मौसम में तैयार फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं.
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