देश के बड़े हिस्से में लोग खेती-किसानी पर निर्भर हैं और कृषि के जरिए अपनी जीविका चलाते हैं. किसानों को खेती में कई प्रकार की समस्या आती हैं जिसमें फसल को आपदा से नुकसान से लेकर और भी कई प्रकार की समस्याएं हैं. सरकार इन दिनों कई प्रयास कर रही हैं जिससे किसानों को लाभ दिलाया जा सके.
वहीं सरकारों के द्वारा कई ऐसे प्रयास भी किये जा रहे हैं जिससे किसानों की लागत कम हो और मुनाफा ज्यादा हो. वहीं वैज्ञानिक पद्वति से भी खेती के जरिए किसानों के लाभ दिलाने का प्रयास जारी है. किसानों को कई प्रकार की योजनाओं के जरिए लाभ दिलाने का प्रयास किया जा रहा है जिसका लाभ किसानों को अब मिलता भी दिखाई दे रहा है. ऐसे ही एक किसान की कहानी गुजरात से सामने आयी है जिन्होंने आलू की खेती में कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से एक साल में 25 करोड़ रुपये कमाये हैं.
इस किसान के परिवार में कुल 10 लोग शामिल हैं और यह परिवार आलू की औसतन 20000 मीट्रिक टन से 25 करोड़ रुपये कमा रहे हैं. इन्होंने अन्य किसानों से एक चीज़ अलग की है और वो है आलू के किस्म का चुनाव. इन लोगों ने आलू के वो किस्म का चुनाव किया जिसका इस्तेमाल वेफर्स और पोटैटो चिप्स बनाने के लिए किया जाता है. यह परिवार पिछले 26 वर्षों से आलू की खेती कर रहा है और बालाजी और आईटीसी जैसी बड़ी एफएमसीजी कंपनियों को इस खास किस्म के आलू की आपूर्ति करता है.
एक बड़े अखबार और वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक किसान का नाम जितेश पटेल है और यह परिवार गुजरात के एक डोलपुर गांव में रहता है. पटेल ने वर्ष 2005 में कृषि में पढ़ाई किया है और वह एमएससी है. कृषि में पढ़ाई के बदौलत ही पटेल ने अपनी इस बुलंदियों को हासिल किया है.
उन्होंने आलू की खती के लिए उस किस्म का चुनाव किया जिसका इस्तेमाल आलू के चिप्स बनाने में किया जाता है. पटेल की मानें तो पढ़ाई के बाद उनका मन हमेशा खेती में लौटकर कुछ बड़ा करने का था. उनकी मानें तो उनका परिवार आलू की खेती काफी पहले से करता था और वो टेबल किस्म था.
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पटेल ने वर्ष 2007 से आलू की इस खास किस्म लैडी रोसेटा की खेती की शरुआत लगभग 10 एकड़ से किया था.
आज पूरा परिवार आलू की खेती में लग गया है और लगभग 1000 एकड़ में इस आलू के किस्म की खेती करते हैं. पटेल की मानें तो उनके परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग कार्यों को देखते हैं जिसमें उगाना, विकृति विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, एन्टोमोलॉजी और बागवानी शामिल हैं.
नोट: यह खबर एक बड़े अखबार और पोर्टल पर किसानों की जानकारी के लिए दिया गया है जिसे हम अपने साथ जुड़े किसानों तक पहुंचा रहे हैं.
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