मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि किसानों की आय (Farmers Income) और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए पशुपालन एवं डेयरी विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है. ग्रामीण इलाकों में आज भी छोटे और माध्यम वर्गीय किसान ज्यादातर पशुपालन पर निर्भर रहते हैं. कम निवेश के साथ अधिक मुनाफा दिलाने वाले व्यवसाय में से एक यह भी है. जिस वजह से इसकी मांग काफी ज्यादा है. पशुपालन में सबसे सस्ता बकरी पालन है.
इसको बढ़ावा देना चाहिए. विशेषकर बैगा जनजाति को पशु देकर पशुपालन (Animal Husbandry) से जोड़ा जाए. हम दो गाय या भैंस, बैगा परिवार को दें. किसी एक जिले से इस मिशन को शुरू कर सकते हैं. शिवराज सिंह ने कहा हम ऐसी योजना बना सकते हैं. यदि यह सफल रहा तो उसे आगे बढ़ाएंगे.
शिवराज ने साधा विभाग अधिकारीयों पर निशाना (Shivraj Targeted the Department Officials!)
सीएम ने विभाग के अधिकारियों से जवाब मांगते हुए कहा कि जब प्राइवेट डेयरी वाले लोन लेकर भी ज्यादा कमा लेते हैं तो हम सरकारी सहायता मिलने के बाद भी कम फायदे में क्यों हैं?
सीएम ने मंगलवार को पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग की समीक्षा की. इस मौके पर पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल भी मौजूद थे. सीएम ने कहा कि यदि हम लोग गौशालाओं को अपने पैरों पर खड़ा नहीं करेंगे तो यह अनुदान पर कब तक चलती रहेंगी. अधिकारियों से पूछा कि गौशालाओं को बिना अनुदान के चलाने के लिए क्या प्रयास किये जा रहे हैं और क्या कर सकते हैं?
गौमूत्र और गोबर का नया प्रयोग (New Use of cow Urine and Dung)
चौहान ने कहा कि गौमूत्र और गोबर को लेकर कई नए प्रयोग हो रहे हैं. गोबर से सीएनजी बनाने जैसा इनोवेशन हो रहा है. हम भी देखें इस दिशा में क्या काम कर सकते हैं. जो भी नए-नए प्रयोग हो रहे हैं, उसका विश्लेषण करें और उसे अमल में लाएं. पशुओं की नस्ल सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं. नस्ल सुधारने से उन्हें उपयोगी बनाया जा सकता है. सीएम ने पूछा कि कृत्रिम गर्भाधान से क्या बकरियों की नस्लें सुधरेगी?
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जरूरत पड़े तो गौ-संवर्धन योजना की करें रिपैकेजिंग (If Needed, Do Repackaging of Cow-Promotion Scheme)
सीएम ने कहा कि पोल्ट्री उद्योग को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तैयार करें. कुल मिलाकर पोल्ट्री फार्म के काम से काफी रोजगार मिलता है. मध्य प्रदेश में यह अपेक्षाकृत कम है.
इसलिए हम कुछ ऐसे काम करें जिससे एग्जांपल सेट हो. चौहान ने कहा कि दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से लोगों को रोजगार (Employment) से जोड़ें. गौशालाओं का संचालन व्यवस्थित ढंग से हो. उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए.
गोबर, गौ-मूत्र से कई उत्पाद बन रहे हैं. इसलिए गाय के गोबर और गौमूत्र के नए-नए प्रयोग करें. उन्होंने अधिकारियों से आचार्य विद्या सागर गौसंवर्धन योजना का इंपैक्ट असेसमेंट करके यह देखने को कहा कि क्या रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं. जरूरत पड़े तो योजना की रिपैकेजिंग करें.
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