उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में बारिश होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. जहां बारिश होने से गेहूं, जौ और गन्ना की फसल को फ़ायदा होगा, तो वहीं दलहन औऱ तिलहन को भारी नुकसान पहुंचेगा. दलहन और तिलहन कम पानी वाली फसलें होती हैं. अगर इन खेतों में ज्यादा दिनों तक पानी जमा रहे, तो फसल के पौधे सड़ने और कमजोर होने लगते हैं, तो वहीं बारिश से दलहन औऱ तिलहन फसलों में फफूंदी रोग होने की संभावना रहती है. ऐसे में अगर किसान अपनी फसल की ओर विशेष ध्यान न दें, तो उनकी पूरी फसल बर्बाद भी हो सकती है. इसके लिए कृषि और उद्यान विभाग ने किसानों को सावधानी बरतने और फसल को बचाने के लिए कई उपाय भी सुझाए हैं. आज हम इस लेख में बताने जा रहें हैं कि इन दिनों किसान अपनी फसल को कैसे बचा सकते हैं.
क्या करें किसान
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जब तक बारिश होने की संभावना है तब तक फसलों की सिचाई नहीं करनी चाहिए.
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मौसम साफ़ होते ही फसल में यूरिया का छिड़काव कर दें.
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जब मौसम साफ़ हो, तब फसल की रोगों की रोकथाम करें.
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खेत में पानी जमा न होने दें.
आपको बता दें कि बारिश होने से चना, मटर, मसूर, अरहर, सरसों और लाही का विकास रुक जाता है, साथ ही इनके फूल गिरने की संभावना रहती है. जो किसान सब्जियां उगा रहें हैं, उनको भी सर्तक रहने की ज़रूरत है. जब बारिश होने के बाद मौसम साफ़ होता है, तो आलू, सरसों, तोरिया समेत अनय सब्ज़ियों में फफूंदी रोग लगने का डर होता है, इसलिए किसान डाइथेन एम-45 को 300 लीटर पानी में 500 ग्राम घोल लें और प्रति एकड़ स्प्रेयर मशीन से छिड़काव कर सकते हैं.
बारिश का सबसे ज़्यादा असर आलू की फसल पर पड़ सकता है. बता दें कि बारिश से खेतों में जल भराव होने से आलू सड़ जाता है और फसल में पत्तियां भी गल जाती हैं. ऐसे में फसल के उत्पादन पर ज्यादा असर पड़ता है. इसके लिए अगर किसान ने खेत की मेड़बंदी की है, तो उसे काट दें, जिससे पानी खेत में जमा न हो सके, साथ ही ज़िंक का छिड़काव कर दें, ताकि फसल की पत्तियां पीली और सड़ने से बचा सकें.
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