भारतीय अर्थव्यवस्था की अगर बात करें तो यह ना सिर्फ अन्नदाताओं की भूमिका अदा करता है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी संभालने का काम करता है. इसका मुख्य कारन भारत की उपजाऊ धरती और यहाँ के लोगों का कृषि क्षेत्र के प्रति लगाव है. भारत में 49% से अधिक आबादी खेती के कार्य पर ही निर्भर है.
हाल के दिनों में इस क्षेत्र में बहुत सारी चिंताएँ या मुद्दे चल रहे हैं और यह बहुत महत्वपूर्ण बिंदु है. केंद्र सरकार ने बजट में मूल रूप से कहा था कि वे खपत या खपत की मांग को बढ़ाना चाहते हैं. क्योंकि भारत की 16% जीडीपी खपत और व्यय से ही आती है, और भारत की अधिकांश आबादी ग्रामीण भारत में केंद्रित है. 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की लगभग 2/3 आबादी भारत के ग्रामीण हिस्से में रहती है.
इसलिए कृषि क्षेत्र में कृषि सुधारों के लिए भारत सरकार ने बजट के माध्यम से इस स्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है. इसी कड़ी में कृषि क्षेत्र की स्थिति में सुधार हो और अगले दो वर्षों में किसानों की आय दोगुनी हो सकेवित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए अपन प्रस्ताव में 1 फरवरी को पेश होने वाले 2022-23 के बजट में कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर लगभग 18 लाख करोड़ रुपये करने की संभावना जताई है.
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चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 16.5 लाख करोड़ रुपये का ऋण लक्ष्य रखा है. मिली जानकारी के अनुसार महीने के आखिरी सप्ताह में बजट को अंतिम रूप देते समय इस संख्या को फाइनल किया जाएगा.
हर साल बढ़ता है कृषि क्षेत्र के लिए ऋण (Credit For Agriculture Sector Increases Every Year)
सरकार हर साल कृषि क्षेत्र के लिए ऋण लक्ष्य बढ़ा रही है और इस बार भी 2022-23 के लिए लक्ष्य को बढ़ाकर 18-18.5 लाख करोड़ रुपये किए जाने की संभावना है. इसके अलावा सरकार बैंकिंग क्षेत्र के लिए भी फसल ऋण लक्ष्य सहित वार्षिक कृषि ऋण तय करती है. पिछले कुछ वर्षों में कृषि ऋण प्रवाह में लगातार वृद्धि नजर आई है, जो प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य से अधिक है.
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