किसान सीजन के अनुसार ही फसलों की बुवाई करते हैं, क्योंकि अगर बिन सीजन फसलों को बोया जाए, तो उनका उत्पादन न के बराबर ही होती है. फिलहाल, किसान खरीफ सीजन (Kharif Season) की फसलों की बुवाई पूरी कर चुके हैं.
अब जल्द ही किसानों को खरीफ फसलों की उपज प्राप्त हो जाएगी. इसके बाद किसान अक्टूबर के आस-पास रबी सीजन (Rabi Season) की फसलों की बुवाई शुरू कर देंगे.
इस दौरान किसानों को गुणवत्ता पूर्ण बीजों की आवश्यकता होगी, साथ ही खाद की आवश्यकता भी होगी. इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर मंत्री मनसुख मांडविया (Union Minister for Chemicals and Fertilizers Mansukh Mandaviya) ने एक अहम बैठक की है.
खाद को लेकर अहम बैठक (Important meeting regarding fertilizer)
केंद्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर मंत्री मनसुख मांडविया (Union Minister for Chemicals and Fertilizers Mansukh Mandaviya) की बैठक में खाद की पर्याप्त सप्लाई को लेकर चर्चा की गई. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद की बढ़ती कीमतों को लेकर भी बातचीत की.
मौजूदा वक्त में सरकार द्वारा खरीफ सीजन के लिए खाद पर सब्सिडी (Fertilizer Subsidy) प्रदान की जा रही है. बता दें कि डीएपी और पीएंडके उर्वरकों के अन्य ग्रेड पर बढ़ी हुई सब्सिडी 31 अक्टूबर तक लागू है. यानी डीएपी (DAP) उर्वरक पर प्रति बोरी (50 किलो) सब्सिडी 500 रुपए से बढ़ाकर 1,200 रुपए प्रति बोरी है. इसमें करीब 140 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
खाद के कच्चे माल की कीमतें बढ़ी (Fertilizer raw material prices increased)
आपको बता दें कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौर में खाड़ी देशों ने डीएपी (DAP) खाद के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतें बढ़ा दी हैं.
ऐसे में डीएपी खाद की एक बोरी की कीमत दोगुनी हो गई है, इसलिए किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी में 140 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी की गई.
केंद्र सरकार की सबसे बड़ी समस्या (Biggest problem of central government)
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो केंद्र सरकार की सबसे बड़ी समस्या खाद की बढ़ती कीमत है, इसलिए सरकार के पास 2 विकल्प है. यानी कंपनियों को कीमत बढ़ाने की इजाजत दें या फिर भारी भरकम सब्सिडी दें. फिलहाल, सरकार की तरफ से इन 2 विकल्प पर विचार किया जा रहा है.
खाद पर मिल सकती है सब्सिडी (Subsidy can be available on fertilizer)
सूत्रों की मानें, तो आगामी दिनों में उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव होने वाले हैं, इसलिए सरकार खाद के दाम बढ़ाने का जोखिम नहीं उठा सकती है. ऐसे में किसानों के लिए सब्सिडी की सुविधा बढ़ाई जा सकती है.
जानकारी के लिए बता दें कि डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60 से 70 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं. इस वजह से एक डीएपी बैग की कीमत 2400 रुपए हो गई है. इस पर खाद कंपनियों द्वारा 500 रुपए की सब्सिडी घटाई जा सकती है और तब इसे 1900 रुपए में बेचा जा सकता है.
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