उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ ने किसान सम्मेलन के दौरान आगामी पेराई सीजन (2021-22) के लिए गन्ने के एसएपी में बढ़ोतरी करने की घोषणा की है. दरअसल, राज्य सरकार ने 25 रुपए प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की है.
बता दें कि देश में सबसे अधिक गन्ना उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है. इसके साथ ही राज्य में साढ़े चार साल में कुल 35 रुपए प्रति क्विटंल का इजाफा किया गया है. इसके बावजूद गन्ना किसान इस बढ़ोतरी को सरकारी धोखा बता रहे हैं?
अक्टूबर से शुरू होगा पेराई सीजन
आपको बता दें कि आगामी 1 अक्टूबर से पेराई सीजन शुरू होगा. अब राज्य में गन्ने की अगेती किस्म के लिए एसएपी 350 रुपए प्रति क्विंटल, सामान्य किस्म के लिए 340 रुपए प्रति क्विंटल और अस्वीकृत किस्म के लिए एसएपी 335 रुपए प्रति क्विटंल हो गई हैं.
हरियाणा-पंजाब में यूपी से ज्यादा मूल्य मिल रहा
ऐसे समय योगी सरकार की तरफ से गन्ना किसानों के लिए समर्थन मूल्य बढ़ाने का फैसला लिया गया है, जब सूबे में चार महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं.
वैसे भी किसानों की नाराजगी से पश्चिम यूपी में बीजेपी का सियासी समीकरण गड़बड़ा रहा है. ऐसे में गन्ना के मूल्य बढ़ाकर किसानों को साधने का दांव चला जा रहा है.
जानकारी के लिए बता दें कि इस घोषणा के बाद राज्य के 45 लाख से अधिक गन्ना किसानों की नाराजगी का कम होना संभव नहीं लगता है. वैसे भी हरियाणा सरकार ने गन्ने का एसएपी 362 रुपए प्रति क्विटंल घोषित किया है.
वहीं, पंजाब सरकार ने गन्ने का एसएपी 360 रुपए प्रति क्विंटल घोषित कर रखा है. पहले से ही किसान आंदोलन कर रहे हैं, तो ऐसे में क्या गन्ना किसानों की नाराजगी कम होगी.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में गन्ने के कुल रकबे का 51 प्रतिशत, उत्पादन का 50 प्रतिशत और चीनी उत्पादन का 38 प्रतिशत हिस्सा है. भारत में कुल 520 चीनी मिलों से 119 उत्तर प्रदेश में हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की बड़ी संख्या है, इसलिए यह राजनीतिक रूप से बेहद अहम फसल है. वर्ष 2017 में यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य में कुल 35 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई थी.
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