गन्ना किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. दरअसल, उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर के उद्यान विभाग की सहभागिता से गन्ना विकास विभाग ने एक अहम फैसला लिया है कि यहां पिछड़े, सीमांत और अनुसूचित जाति के गन्ना किसानों के ड्रिप सिंचाई संयंत्र लगवाया जाएगा.
इस पर 80 से 90 प्रतिशत अनुदान भी दिया जा रहा है. खास बात यह है कि इन यंत्रों के लगने से पानी की बचत होगी, साथ ही गन्ना खेती में लागत और बिजली की बचत होगी. इसके अलावा भू-जल दोहन रुकेगा.
ड्रिप सिंचाई संयंत्र लगवाने का लक्ष्य (Drip irrigation plant installation)
विभाग का लक्ष्य है कि इस तरह गन्ना की उत्पादकता बढ़ाई जा सके. इसके साथ ही खेती की लागत कम हो. गन्ना विकास विभाग उद्यान विभाग के सहयोग से पिछड़े, सीमांत और अनुसूचित जाति के गन्ना किसानों को ड्रिप इरीगेशन से सिंचाई करने के लिए बढ़ावा दे रहा है.
80 से 90 प्रतिशत अनुदान (80 to 90 percent subsidy)
यहां पिछड़े व सीमांत किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा, तो वहीं अनुसूचित जाति के किसानों के लिए 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा.
गन्ना वैज्ञानिकों का कहना है कि गन्ना की बुवाई से लेकर कटाई तक 1800 से 2200 मिमी पानी की आवश्यकता पड़ती है. इसमें से लगभग 1000 मिमी पानी वर्षा से मिल जाता है और पानी अन्य साधनों से भूजल दोहन कर गन्ना फसल को जरूरत पड़ती है. अगर गन्ना फसल में ड्रिप इरीगेशन का उपयोग का जाएगा, तो पानी की अच्छी बचत होगी.
ड्रिप इरीगेशन से पानी की बचत (Water saving by drip irrigation)
इस तरह बूंद-बूंद सिंचाई करने से लगभग 5 गुना तक पानी की बचत की जा सकती है.
इससे गन्ना फसल की लागत कम होगी, साथ ही बिजली की बचत भी होगी. इसके अलावा गन्ना उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी.
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