कृषि जागरण की टीम ने चीन के शंघाई में पुडोंग इलाके में देखा की स्ट्रॉबेरी को पॉलीहॉउस में उगाया जा रहा है और वहां चीन के परिवार सुबह सवेरे में पॉलीहॉउस आकर खुद ही स्ट्रॉबेरी तोड़ कर अपने ब्रेकफास्ट के लिए, जूस के लिए किलो के हिसाब से स्ट्रॉबेरी लेजाते हैं.
कृषि जागरण टीम ने ऐसे ही एक पॉलीहॉउस को देखा और इस अनुभव को महसूस किया की खेत से खुद स्ट्रॉबेरी को तोडा और खरीद कर उसका स्वाद और मिठास को महसूस किया.
स्ट्रॉबेरी एक नए ज़माने की फसल है. इसका फल मीठा होता है और बहुत स्वादिष्ट भी. यह फल जायदा देर तक नहीं तरह सकता. भारत में २०० ग्राम के डिब्बा में मिलता है. स्ट्रॉबेरी पहाड़ी इलाकों का पौधा है और देश के बारी इलाकों में ज्यादातर जगहों पर ये पॉली हाउस में उगाया जाता है।
परम्परागत खेती से बिमुख हो रहे किसानों के लिए यह एक अच्छी खबर है। स्ट्रॉबेरी की खेती कर यहां के किसान अपनी बदहाली दूर कर सकते हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती में की मृदा व जलवायु स्ट्रॉबेरी के लिए काफी उपयुक्त है। प्रगतिशील चीन के किसान से बात की. चीन के किसान ने बताया की कहते हैं कि स्ट्रॉबेरी का फसल देखकर वे काफी उत्साहित हैं। बड़ी संख्या में किसान उनके स्ट्रॉबेरी का फल देखने आ रहे हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती अति लाभप्रद व्यवसाय है। स्ट्रॉबेरी की एक एकड़ खेती में लागत लगभग दो लाख की आती है और इससे सात से आठ लाख प्रति एकड़ मुनाफा कमाया जा सकता है। ने कहा कि किसान पारंपरिक खेती को छोड़, फसल विविधीकरण तथा अन्य नए कृषि तकनीकों को अपनाकर अधिक से अधिक लाभ कमायें
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