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कच्चे माल के आयात पर संशोधित सीमा शुल्क, जानिए क्या-क्या किये गये बदलाव

अगर कस्टम ड्यूटी की बात करें तो यह एक तरह का टैक्स है, जो उन सामानों पर लगता है, जो आयात या निर्यात किए जाते हैं. जब कोई सामान विदेश से भारत में आता है तो उस पर कई तरह के शुल्क वसूले जाते हैं. कस्टम ड्यूटी को देशों द्वारा अपना राजस्व बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

स्वाति राव
Revised Customs Duty
Revised Customs Duty

अगर कस्टम ड्यूटी की बात करें तो यह एक तरह का टैक्स है, जो उन सामानों पर लगता है, जो आयात या निर्यात किए जाते हैं. जब कोई सामान विदेश से भारत में आता है तो उस पर कई तरह के शुल्क वसूले जाते हैं. कस्टम ड्यूटी को देशों द्वारा अपना राजस्व बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

इसकी रेट हर सामान के हिसाब से अलग अलग होती है. ऐसे में इम्पोर्ट ड्यूटी को बेसिक ड्यूटी, अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी, वास्तविक कॉउंटरप्रीवेलिंग ड्यूटी, प्रोटेक्टिव ड्यूटी, एजुकेशन सेस और सुरक्षा शुल्क में बांटा जाता है. ऐसे में इसको लेकर समय-से पर कई सारे बदलाव किये जाते हैं.

आपको बता दें केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने संशोधित सीमा शुल्क टैरिफ को 01.01.2022 से जारी कर सभी इंटरमीडिएट और कच्चे माल के आयात पर 10% और तैयार उत्पादों पर भी 10% पर लागू किया है. जिसके परिणामस्वरूप भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के लिए डेथ वारंट साबित होगा और वहीँ "मेक इन इंडिया” के सभी दृष्टिकोण को नष्ट कर देगा. उद्योग को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वित्त मंत्रालय और रसायन और उर्वरक मंत्रालय को बार-बार अपील करने और विस्तृत स्पष्टीकरण के बावजूद, रेडीमेड उत्पादों (तैयार उत्पाद) के आयात पर सीमा शुल्क संरचना 10% पर समान रखी गई. इसकी तुलना में, कच्चे माल और इंटरमीडिएट्स (विनिर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले उत्पाद) के आयात पर लागू सीमा शुल्क भी 10% है, जो स्वदेशी विनिर्माण क्षेत्र के विकास के लिए बहुत अधिक गुंजाइश नहीं छोड़ता है.

अधिकारिक रूप से लिए गए उपरोक्त कदम पर अगर चर्चा करें तो निश्चित रूप से भारत में स्वदेशी विनिर्माण के बजाय तैयार उत्पादों के आयात को प्रोत्साहित करेगा. देश पहले से ही तैयार उत्पादों के बढ़ते आयात को देख रहा है. ऐसे में यह स्थति सामान्य से काफी अलग दिखाई दे रही है.

कच्चे माल के आयात पर संशोधित सीमा शुल्क (Revised Customs Duty on Import of Raw Materials)

सीएमआईई, वाणिज्य मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान कीटनाशकों का आयात बढ़कर 41.2% हो गया, जबकि घरेलू उत्पादन में 11.9% की वृद्धि हुई, जिससे आयात को कम करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है. लेकिन अधिकारी रेडीमेड उत्पादों के बढ़ते आयात से अनभिज्ञ हैं, जिससे कई भारतीय विनिर्माण इकाइयां, विशेषकर एमएसएमई बंद हो जाएंगी.

चीनी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां आक्रामक रूप से भारतीय बाजार पर आक्रमण कर रही हैं जो भारत में भारतीय उद्योगों और विनिर्माण गतिविधियों के विकास को प्रभावित कर रही है.

पेस्टिसाइड्स मैन्युफैक्चरर्स एंड फॉर्म्युलेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पीएमएफएआई) भारत में कीटनाशक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाला सबसे बड़ा राष्ट्रीय संघ होने के नाते, भारत सरकार में संबंधित अधिकारियों को इस मामले का प्रतिनिधित्व किया है. PMFAI ने अधिकारियों से अपील की है कि वे तैयार उत्पादों के सभी आयातों पर सीमा शुल्क बढ़ाकर न्यूनतम 25% कर भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को समान अवसर प्रदान करें जो कि अध्याय 3808 के अंतर्गत आता है.

यदि बढ़ते आयात, विशेष रूप से तैयार उत्पादों के आयात को रोकने के लिए उपाय नहीं किए गए, तो चीनी और अन्य बहु-राष्ट्रीय कंपनियां भारतीय बाजारों पर आक्रामक रूप से आक्रमण करना जारी रखेंगी जो घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को नष्ट कर देगी.

कच्चे माल बनाम तैयार उत्पादों का आयात (Import Of Raw Materials Vs Finished Products)

भारत में विनिर्माण के लिए आयात किए जाने वाले इनपुट पर आयात किए जाने वाले तैयार उत्पादों की तुलना में आयात किए जाने वाले उत्पादों पर सीमा शुल्क लागू करने में उचित भिन्नता होनी चाहिए. अन्यथा, भारत में विनिर्माण क्षेत्र हमेशा बड़े नुकसान में रहेगा, विशेष रूप से एमएसएमई जो देश की अर्थव्यवस्था के प्रमुख चालक हैं और भारतीय नागरिकों के लिए मुख्य रोजगार प्रदाता हैं.

तैयार उत्पादों के आयात में, इन तैयार उत्पादों को विनिर्माण और रोजगार के मामले में बिना किसी मूल्यवर्धन के आयात किया जाता है, जो भारत के बजाय विदेशों में निवेश, बुनियादी ढांचे और रोजगार के अवसरों का समर्थन करने में मदद करता है.

English Summary: Revised Customs Duty on Import of Raw Materials Published on: 11 January 2022, 12:04 PM IST

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