देश में प्रतिदिन किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए सरकार हर एक कोशिश को पूरा करने में लगी हुई है. इसी क्रम में राज्य सरकार में अपने-अपने स्तर में किसानों की मदद कर रही है. आपको बता दें कि हाल ही में शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलोजी (स्कास्ट) जम्मू ने भी किसानों की मदद करने के लिए एक अनोखी पहल को शुरू करने का फैसला किया, जिसमें किसानों को कृषि विज्ञानिकों को एक साथ जोड़ा जाएगा.
यह नई योजना रेडियो किसान कार्यक्रम है. इस रेडियो किसान कार्यक्रम के लिए सरकार से लाइसेंस भी ले लिया गया है. यूनिवर्सिटी को फंड मिलते ही इस नई योजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा.
क्या है रेडियो किसान कार्यक्रम (What is Radio Kisan)
यह एक नई योजना है. जिसके माध्यम से किसान भाइयों को 15 किलोमीटर के दायरे में किसानों से संबंधी कार्यक्रमों को आसानी से सुन सकेंगे. कम क्षमता वाले क्षेत्रों के किसानों को इसका सबसे अधिक फायदा होगा, क्योंकि इस रेडियों कार्यक्रम के माध्यम से कृषि वैज्ञानिक खेती से जुड़ी सभी जानकारियों को किसानों तक पहुंचाया जाएगा. इसका इस्तेमाल वह अपनी खेती में कर लाभ कमा सकेंगे. यहीं नहीं इस योजना के किसानों को उन सभी शोध के बारे में भी पता चलेगा, जिससे किसान अनभिज्ञ होते हैं.
किसान इस योजना का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे है. अगर हम किसानों की बात करें, तो उनका इस विषय में कहना है कि रेडियो किसानों की मन की आवाज बनेगा. जितना जल्दी हो सके उतनी जल्दी इसे लॉन्च कर देना चाहिए.
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कृषि वैज्ञानिक और किसानों की बीच की दूरी (The distance between the agricultural scientist and the farmer)
इस रेडियों कार्यक्रम के माध्यम से देश के किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के बीच की दूर कम होगी और साथ ही इससे बिचौलियों को खत्म किया जाएगा और किसान सीधे कृषि वैज्ञानिकों से जुड़कर अपनी परेशानियों का हल कर सकेंगे. इस कार्यक्रम के द्वारा के द्वारा किसानों की आवाज बुलंद होगी. वह बिना डरे इस नई योजना के द्वारा अपनी बात कृषि वैज्ञानिकों के समक्ष रख सकेंगे.
प्रो. राकेश नंदा, स्कास्ट के हेड एग्री एक्सटेंशन ने कहीं ये बात (Pro. Rakesh Nanda, Scast's Head Agri Extension said this)
किसानों की परेशानियों को देखते हुए. रेडियो किसान कार्यक्रम को शुरू किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्यक्रम के शुरू होने पर क्षेत्र के किसान को लाभ होगा. जिसे ही इस कार्यक्रम के लिए फंड प्राप्त होंगे इसके लिए स्टूडियो बनाया जाएगा. इसके बाद ही किसान रेडियो कार्यक्रमों का लाभ उठा सकते हैं. साथ ही किसानों के साथ वार्ता भी की जाएगी.
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