कृषि में नवीन तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा लगातार काम किया जा रहा है, ताकि इसके जरिए किसानों की आय भी दोगुनी की जा सके. इसके साथ ही ज्यादा उपज देने वाली किस्मों को विकसित किया जा रहा है
इसके अलावा, नए-नए कृषि यंत्रों को तैयार करने पर भी लगातार काम किया जा रहा है. इसी क्रम में हाल ही में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) के वैज्ञानिकों ने एक और उपलब्धि हासिल की है.
वैज्ञानिकों ने विकसित की मशीन (The machine developed by scientists)
विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा एक मशीन का अविष्कार किया गया है. यह मशीन मक्के का दाना निकालने वाली पेडल ऑपरेटेड मेज शेलर है, जिसे भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय द्वारा डिजाइन पेटेंट मिला है. इस आधुनिक मशीन को मक्का बीज निकालने के लिए तैयार किया गया है. इसकी खासियत यह है कि इसे चलाने के लिए केवल एक व्यक्ति की जरूरत है. इसको एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए परिवहन की भी समस्या नहीं होती, क्योंकि इसका वजन करीब 50 किलोग्राम है. इसमें पहिए भी लगे होते हैं.
कम लागत में निकाल सकते हैं अधिक बीज (Can extract more seeds at lower cost)
यह मशीन कम जोत वाले व छोटे किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगी. इसके जरिए मक्का का बीज तैयार करने में मदद मिलेगी, क्योंकि इसके द्वारा निकाले गए दाने मात्र एक प्रतिशत तक ही टूटते हैं. अगर कार्यक्षमता की बात करें, तो प्रति घंटा की कार्यक्षमता 55 से 60 किलोग्राम तक की है. बता दें कि इससे पहले यह कार्य मैनुअल तरीके से 4 से 5 किसान मिलकर करते थे. इसमें समय व श्रमिकों की जरूरत होती थी. एक व्यक्ति एक घंटे में केवल 15 से 20 किलोग्राम तक ही दाने निकाल पाते थे, साथ ही दाने टूटते भी जाते थे.
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किसान आसानी से कर सकते हैं मशीन का उपयोग (The farmer can easily use the machine)
वैज्ञानिकों का कहना है कि मक्का तैयार होने व छिलका उतारने के बाद समय पर बीज नहीं निकाला जाए, तो फसल में फफूंद व अन्य रोग लगने का खतरा बना रहता है. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है, इसलिए इस मशीन के जरिए किसान समय पर मक्का निकाल सकते हैं. इससे भण्डारण में भी कोई परेशानी नहीं होती है. इसके साथ ही ऑफ सीजन में भी मक्का के मूल्य संवर्धित उत्पाद बेचकर मुनाफा कमाया जा सकता है. खास बात यह है कि यह मशीन बिना बिजली के चलाई जा सकती है. इसे आप बिना किसी खास प्रशिक्षण के उपयोग कर सकता है.
इन वैज्ञानिकों ने तैयार की मशीन (The machine designed by these scientists)
जानकारी के लिए बता दें कि इस मशीन को महाविद्यालय के प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग के डॉ. विजय कुमार सिंह व सेवानिवृत्त डॉ. मुकेश गर्ग की अगुवाई में विकसित किया गया है. इसके लिए साल 2019 में डिजाइन के लिए आवेदन किया था. अब वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई है.
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