बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि आज बागरी और टैफे के संयुक्त प्रयास से विकसित मोबाईल आधारित एप ‘‘बागरी जे फार्म सर्विस’’ का शुभारम्भ किया जा रहा है। इस एप की विशेषता है कि एक किसान दूसरे किसान को उनके जरूरत का यंत्र उचित भाड़े पर उपलब्ध करा सकते हैं। यह एप बागरी के कार्य क्षेत्र से आच्छादित 11 जिलों यथा मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, बेगुसराय, दरभंगा, बक्सर, भोजपुर, सासाराम, नालन्दा, गया एवं पटना में इस संस्थान से जुड़े 50 हजार किसानों के साथ पायलट आधार पर शुरू किया जा रहा है। यह एप प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप को बिहार के परिवेश में विकसित किया गया है। इस एप की यह विशेषता है कि इसमें कस्टम हायरिंग के साथ-साथ कृषि से संबंधित समसामयिक सूचनाएँ, मौसम की जानकारी, कॉल सेन्टर से मदद भी उपलब्ध है। इस एप को विकसित करने में जुड़े सभी विशेषज्ञों को मैं बधाई देता हूँ। साथ ही, उम्मीद करता हूँ कि यह एप किसानों के लिए उपयोगी साबित होगा और किसानों को उचित मूल्य पर ससमय उनके जरूरत का यंत्र उपलब्ध करा सकेगा।
डॉ० कुमार ने कहा कि आज बिहार कृषि यांत्रिकरण में देश के अग्रिम राज्यों में आता है। बिहार राज्य देश का पहला ऐसा राज्य है जो विगत 4 वर्षों से ऑनलाईन के माध्यम से किसानों से आवेदन प्राप्त कर अनुदान की राशि उनके खाते में उपलब्ध करा रहा है। कृषि यांत्रिकरण के उपयोग से राज्य के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि दर्ज की गई है। यह विदित है कि यंत्रों के सही उपयोग से उत्पादकता में 30 प्रतिशत तक वृद्धि तथा उत्पादन लागत में 20 प्रतिशत तक कमी दर्ज होती है। विगत 10 वर्षों में देश में ट्रैक्टर की बिक्री में 5.5 प्रतिशत के वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। बिहार राज्य में वर्तमान में ट्रैक्टर की बिक्री का बाजार 40 हजार प्रति वर्ष है, जो कि पड़ोस के राज्यों पश्चिम बंगाल तथा झारखंड से ज्यादा है। राज्य ने निःसंदेह यांत्रिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य में ऊर्जा की उपलब्धता एवं आधुनिकत्तम कृषि यंत्रों को अनुदानित दर पर कृषकों को उपलब्ध कराने में भी विभाग की भूमिका प्रसंशनीय रही है। विगत वर्षों के विवरण को देखा जाय तो यह परिलक्षित होता है कि सरकार के प्रयास पर कृषकों का रूख बहुत ही सकारात्मक रहा है। हाल के वर्षों में कृषकों ने नये-नये प्रयोग भी सरकार के सहयोग से किये हैं एवं इसका प्रमाण यह है कि धान तथा गेहूँ के बाद अब मक्का जैसे फसल पर राज्य कृषि कर्मण पुरस्कार से पुरस्कृत हो चुका है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा संचालित योजना सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मेकेनाईजेशन योजना अंतर्गत कस्टम हायरिंग केन्द्र की स्थापना की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत 10.00 लाख, 25.00लाख एवं 40.00 लाख तक की लागत से कस्टम हायरिंग हेतु कृषि यंत्र बैंक तथा 80.00लाख रूपये की लागत वाले दो हाईटेक हब की स्थापना किया जाना है। इसके लिए 21करोड़ 70 लाख 82 हजार रू० की लागत से योजना की स्वीकृति दी गई है। उक्त सभी कृषि यंत्र बैंक/हाईटेक हब की स्थापना पर 40 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। इसके अलावा चयनित ग्रामों में 10.00 लाख रूपये तक की लागत से कृषि यंत्र बैंकों की स्थापना की जानी है जिसमें 80 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है।
प्रधान सचिव, कृषि विभाग, बिहार सुधीर कुमार ने कहा कि वाप्कोस लिमिटेड (भारत सरकार का उपक्रम) द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को सौपे गये अपने प्रतिवेदन में बिहार राज्य को कृषि यांत्रिकरण के उपयोग से फार्म पावर उपलब्धता की कैटेगरी 1 के राज्यों में रखा है। आज राज्य में फार्म पावर उपलब्धता 2.797 किलोवाट प्रति हेक्टेयर है, जो कि राष्ट्रीय औसत 2.025 किलोवाट प्रति हेक्टेयर से अधिक है।
इस कार्यक्रम में नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक एस० के० मजुमदार, फिक्की के राष्ट्रीय कृषि समिति तथा टैफे के अध्यक्ष टी० आर० केशवन, फिक्की के कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के अध्यक्ष जसमीत सिंह, कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक (कृषि अभियंत्रण) सुधीर मिश्रा, बागरी के सह-निदेशक शशिकान्त सिंह उपस्थित थे।
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