ज्यादातर लोग कचरे को बेकार समझकर उसे ऐसे ही फेंक देते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल पूरी दुनिया में लगभग 30 अरब करोड़ टन कचरा बर्बाद हो जाता है. अगर हम बात करें, भारत की तो यहां सालाना करीब 35 करोड़ टन कृषि कचरा पैदा होता है, जिसे लोग बेकार समझ कर फेंक देते हैं. लेकिन आपको बता दें कि यह कचरा बेकार व बर्बाद नहीं जाता है. नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार हर साल कृषि कचरे से किसान हरी खाद के अलावा इससे बिजली भी पैदा करते हैं.
तो आइए आज हम इस लेख में बेकार समझने वाले कृषि कचरे के बारे में विस्तार से जानते हैं...
कचरे से कागज तैयार करना (making paper from waste)
साल 2014 में भारत में स्वच्छ भारत अभियान को शुरू किया गया. इसी अभियान के तहत ही देश में कचरे से बनने वाले उत्पादों पर जोर दिया जाने लगा. इस विचार को अमल में लाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और साथ ही दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने अपना भरपूर सहयोग दिया. इन सभी संस्थाओं ने एक साथ मिलकर ऐसी नई तकनीक पर काम करना शुरू कर दिया जिससे बेकार कचरे को फायदेमंद बनाकर पैसे कमाए जा सके.
आपको बता दें कि ICAR ने ऐसी एक बेहतरीन तकनीक विकसित की जिससे कचरे को कागज में सरलता से बदला जा सके. इस विषय में ICAR का कहना है कि चावल, दलहन और तिलहन के तेल से मिलने वाली खली का भी सरलता से उपयोग किया जा सकता है.
कृषि कचरे का इस्तेमाल (use of agricultural waste)
मूंगफली के छिलके व अन्य कई फायदेमंद छिलकों को मुर्गियों के आहार के रूप में भरपूर इस्तेमाल किया जाता है. इसके सेवन से मुर्गियों को प्राप्त मात्रा में प्रोटीन मिलता है. इसके अलावा चीनी मिल से निकलने वाले कचरे को कंपोस्ट खाद (compost manure) में बदलकर किसान इसे अपने खेत में डाल सकते हैं.
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इसके इस्तेमाल से फसल में वृद्धि होगी और साथ ही किसानों की आय बढ़ेगी. देखा जाए तो भारत देश में सबसे अधिक कचरा रसोई घर से निकलता है. इस कचरे के लिए भी संस्थाओं द्वारा तकनीक को विकसित कर लिया गया है. इसके इस्तेमाल से आप कई कार्यों को कर सकते हैं.
कपास की बेकार टहनियों को इस्तेमाल मशरूम की खेती (Mushroom farming) में किया जा सकता है. अनानास के कचरे को अब पशुपालक अपने पशु को चारे के रूप में खिला सकते हैं.
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