सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान नैस्ले इंडिया के वकीलों ने इस बात को स्वीकार किया है कि मैगी में लैड की मात्रा बहुत अधिक थी. डॉक्टर्स ने भी कहा है कि लैड हमारी सेहत के लिए खतरनाक है. ज्यादा लैड के सेवन की वजह से किडनी नष्ट हो सकती है और नर्वस सिस्टम भी डैमेज हो सकता है. फूड प्रॉडक्ट में लैड की मात्रा 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए, परन्तु मैगी के नमूनों में इसकी मात्रा इससे बहुत अधिक पाई गई थी.
एफएमसीजी सेक्टर की प्रमुख फूड और बेवरेज कंपनी नेस्ले इंडिया (Nestle India) ने सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया कि उसके सबसे लोकप्रिय एफएमसीजी उत्पाद मैगी (Maggi) में लैड की मात्रा पाई गयी थी. कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान नैस्ले कंपनी के वकीलों ने इस बात को स्वीकार किया. सीसेटीआरआई (सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट), मैसूरु द्वारा किए गए परीक्षण में लैड और एमएसजी जैसे विषैले तत्व पाए गए हैं, जो मानव शरीर के लिए काफी ज्यादा खतरनाक हैं.
एनसीडीआरसी ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की एक याचिका पर सख्त हिदायत देते हुए अंतरिम आदेश दिए थे. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कंपनी से 640 करोड़ रुपए के हर्जाने की मांग की थी.
वर्ष 2015 में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने निश्चित सीमा से अधिक लैड पाए जाने पर नैस्ले के नूडल ब्रांड मैगी पर बैन लगा दिया था. इस फैसले की वजह से कंपनी को बाजार से अपने उत्पाद को हटाना पड़ा था.
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