आम और लीची की खेती करने वाले किसानों के लिए आने वाला महीना समस्या खड़ी कर सकता है, क्योंकि बीते कुछ सालों से भारी मात्रा में बारिश होने की वजह से वातावरण में नमी पाई गई है.
इसके चलते एक प्रकार का कीट उभरकर सामने आया है, जो कि फलों की बागवानी (Fruit Horticulture) को पूर्णरूप से बर्बाद कर रहा हैं. इस कीट का नाम लीफ वेबर कीट है. इसी कड़ी में पूसा, समस्तीपुर, बिहार के कृषि वैज्ञानिक ने जरुरी सलाह देते हुए जानकारी दी है.
प्रोफेसर, प्लांट पैथोलॉजी, एसोसिएट डायरेक्टर रिसर्च, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार अन्वेषक, डॉ. एसके सिंह ने जानकरी दी है कि कुछ सालों से भारी बारिश के चलते पर्यावरण में अधिक नमी पाई जा रही है. इसके चलते लीफ वेबर कीट (leaf weber insect) नाम के कीट उत्पन्न हो रहे हैं. यह फसलों की पत्तियों पर अंडा देते हैं, जिसके बाद पत्तियों की अंदरूनी सतह को काट कर पत्तियों का भोजन करते हैं.
वहीं दूसरे इंस्टा लार्वा (Insta Larva) पत्तियों को बंद करना शुरू कर देते हैं और पूरे पत्ते को खाते हैं. इस वजह से पेड़ पूरी तरह सुख जाता है. इनमें फल लगना बंद हो जाते हैं, साथ ही फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है.
इस बीच कृषि वैज्ञनिकों का कहना है कि जल्द से जल्द किसानों को इन कीटों का वैज्ञानिक उपचार करना चाहिए, ताकि फसलों को बर्बाद होने से बचाया जा सके. जानकारी के अनुसार इस तरह के कीट जलभराव और लगातार बारिश वाले क्षेत्रों में पाए जा रहे है.
इस खबर को भी पढें - लीची की खेती करने का तरीका और लाभ
वहीं उनका आगे कहना है कि यह कीट जुलाई माह में ही सक्रीय हो जाते हैं और यह दिसम्बर तक फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. बता दें कि जुलाई में बारिश होने की सम्भावना ज्यादा रहती है और यह धीरे – धीरे दिसंबर तक होती है. वहीं, दिसम्बर में हल्की हल्की ओस की नमी भी पाई जाती है. इस वजह से कीट उत्पन्न होते हैं.
लीफ वेबर कीट से कैसे करें बचाव (How To Protect Against Leaf Weber Pest)
कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि इस कीट से बचाव करने के लिए किसान भाई अपनी फलों की फसल में किसी उपकरण की सहयता से जाला को समय-समय पर काटकर उसे जलाते रहें. इस तरह कीट की रोकथाम की जा सकती है. इसके अलावा फलों की बागों में लैम्बाडायशोथ्रिन (lambdysothrin ) 5 ईसी (2 मिली / लीटर पानी) का छिड़काव करें. इसके बाद 15-20 दिनों के बाद दूसरा स्प्रे या तो लैम्ब्डासीलोथ्रिन 5 ईसी (2 मिली / लीटर पानी) या क्विनालफॉस( quinalphos)25 ईसी (1.5 मिली / लीटर पानी) के साथ छिड़काव करना चाहिए.
Share your comments