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गेहूं और सरसों की बेहतर पैदावार के लिए अपनाएं कृषि वैज्ञानिकों की सलाह, जरूर पढ़िए ये लेख

इस साल अक्टूबर में 2 बार बेमौसम बारिश हुई, जिससे किसानों द्वारा बोई गई गेहूं (Wheat) और सरसों (Mustard) की फसलों की बुवाई काफी प्रभावित हुई है. कई किसान ऐसे भी हैं, जिन्हें फसलों की 2-2 बार बुवाई करनी पड़ी है.

कंचन मौर्य
Wheat&Mustard Cultivation
Wheat&Mustard Cultivation

इस साल अक्टूबर में 2 बार बेमौसम बारिश हुई, जिससे किसानों द्वारा बोई गई गेहूं (Wheat) और सरसों (Mustard) की फसलों की बुवाई काफी प्रभावित हुई है. कई किसान ऐसे भी हैं, जिन्हें फसलों की 2-2 बार बुवाई करनी पड़ी है.

इस रबी सीजन देखा जा रहा है कि किसान गेहूं के अलावा, सरसों की बुवाई पर भी काफी जोर दे रहे हैं,  क्योंकि इसका दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 60 से 70 प्रतिशत अधिक है. ऐसे में अगर किसान भाई वैज्ञानिक सलाह से सरसों की खेती करते हैं, तो फसल की पैदावार अच्छी प्राप्त होगी.

दरअसल, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute/IARI)  के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के लिए वैज्ञानिक तरीके से सरसों और गेहूं की खेती करने की सलाह दी गई है. खासतौर पर वैज्ञानिकों ने खेत में नमी को लेकर सावधानी बरतने को कहा है.

उनका कहना है कि किसान भाई मौसम को ध्यान में रखते हुए गेंहू की बुवाई (Wheat Sowing) के लिए खाली खेतों को तैयार करें. इसके साथ ही उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करें. इसके अलावा गेहूं की उन्नत किस्मों की जानकारी भी दी है. 

वैज्ञानिकों का मानना है कि किसानों को गेहूं की खेती में सिंचित परिस्थिति के लिए एचडी 3226, एचडी 18, एचडी 3086 एवं एचडी 2967 की बुवाई करनी चाहिए.

खेत को दीमक के प्रकोप से बचाने का तरीका (How to protect the field from termite infestation)

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि खेती में बीज की मात्रा 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से लगेगी. वहीं, जिन खेतों में दीमक का प्रकोप है, वहां इसकी रोकथाम के लिए क्लोरपायरीफॉस (20 ईसी) @ 5 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से पलेवा के साथ करें.

सरसों की बुवाई में ना करें देर (Do not delay in sowing mustard)

इस संबंध में कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि किसानों को तापमान को ध्यान में रखते हुए सरसों की बुवाई करना है. इसकी बुवाई में ज्यादा देर भी ना करें. इसके साथ ही मिट्टी जांच जरूर करा लें. अगर गंधक की कमी है, तो 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई पर डाल दें. इसके अलावा बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी पर जरूर ध्यान दें.

वहीं, सरसों की उन्नत किस्मों का ज्रिक भी किया है. उनका मानना है कि किसानों को पूसा विजय, पूसा सरसों-29, पूसा सरसों-30, पूसा सरसों-31 आदि किस्म की बुवाई करना चाहिए. वहीं, बुवाई से पहले खेत में नमी के स्तर को अवश्य बनाए रखें, ताकि अंकुरण प्रभावित न हो.

बुवाई से पहले बीज का उपचार करें  (Treat seeds before sowing)

किसानों को सलाह दी गई है कि बुवाई से पहले बीजों को केप्टान @ 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित जरूर कर लें. वहीं, अगर बुवाई कतारों में करते हैं, तो अधिक लाभकारी होगी.

अगर कम फैलने वाली किस्में हैं, तो उनकी बुवाई 30 सेंटीमीटर में करें. अगर अधिक फैलने वाली किस्में हैं, तो बुवाई 45-50 सेंटीमीटर दूरी पर बनी पंक्तियों में करें. इसके साथ ही विरलीकरण द्वारा पौधे से पौधे की दूरी 12-15 सेंमी कर लें.

उपयुक्त वैज्ञानिक तकनीक से किसान भाई गेहूं व सरसों की खेती कर सकते हैं. इससे उन्हें अच्छी उपज प्राप्त होगी, साथ ही फसल की गुणवत्ता भी काफी अच्छी मिलेगी. बता दें कि रबी सीजन में किसान भी गेहूं व सरसों की खेती अधिकतर करते हैं, तो ऐसे में आपको खेती की उचित जानकारी भी जरूर प्राप्त कर लें.

English Summary: Advice of agricultural scientists for better yield of wheat and mustard Published on: 02 November 2021, 12:11 PM IST

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