
कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) बिरौली में 13 अगस्त से 27 अगस्त तक आयोजित 15 दिवसीय समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल समापन मंगलवार को हुआ. इस प्रशिक्षण में कुल 30 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.
समापन अवसर पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के निदेशक प्रसार शिक्षा ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया. मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए डॉ. मयंक राय ने कहा कि यह प्रशिक्षण किसानों को फसल उत्पादन बढ़ाने, लागत घटाने और मिट्टी की सेहत बनाए रखने में लाभकारी सिद्ध होगा.

उन्होंने मृदा जांच और मृदा स्वास्थ्य की अनिवार्यता पर जोर देते हुए प्रतिभागियों से वैज्ञानिक तकनीक अपनाने का आह्वान किया. डॉ. राय ने ‘समेकित’ शब्द का अर्थ विस्तार से समझाते हुए बताया कि पोषक तत्व प्रबंधन में जैविक, रासायनिक और स्थानीय संसाधनों का संतुलित उपयोग ही खेती को टिकाऊ बना सकता है.
कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. आर. के. तिवारी ने किसानों को बधाई देते हुए कहा कि प्रशिक्षण के दौरान सीखी गई तकनीकों को खेतों पर आजमाना ही इसकी वास्तविक सफलता होगी. उन्होंने कहा कि यह पहल क्षेत्र में वैज्ञानिक खेती के प्रसार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
प्रशिक्षण के दौरान कुल 32 थ्योरी कक्षाएं और 12 प्रैक्टिकल कक्षाएं आयोजित की गईं. इसमें फसलवार पोषक तत्व प्रबंधन, जैविक खाद का प्रयोग, हरी खाद, फसल अवशेष प्रबंधन, उर्वरक संतुलन, तथा मृदा परीक्षण तकनीक जैसे विषय शामिल रहे. प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का समन्वय इं. विनीता कश्यप और श्रीमती निशा रानी ने किया.
किसानों की प्रतिक्रियाएँ
कार्यक्रम में शामिल किसानों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त करते हुए इसे उपयोगी बताया. किसान राजकिशोर कुशवाहा ने कहा कि “मिट्टी परीक्षण और संतुलित खाद उपयोग के बारे में हमने पहली बार इतनी विस्तार से जानकारी पाई. अब हम रासायनिक खाद पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहेंगे.”
वहीं किसान रिंकी देवी ने कहा कि “प्रैक्टिकल क्लास के दौरान जैविक खाद बनाने की तकनीक सीखकर हमें लगा कि इससे हमारी लागत घटेगी और फसल की पैदावार भी बढ़ेगी.”
किसान राहुल ने कहा कि “इस प्रशिक्षण से हमें खेती में नई दिशा मिली है. खासकर फसल अवशेष प्रबंधन से खेत की उर्वरता बनाए रखने में मदद मिलेगी.”
भविष्य की योजना
समापन समारोह में यह भी बताया गया कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम भविष्य में और अधिक किसानों तक पहुँचाए जाएंगे. कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली आने वाले समय में किसान समूह बनाकर मिट्टी परीक्षण अभियान चलाने की योजना बना रहा है, जिससे अधिक से अधिक किसानों को वैज्ञानिक खेती की ओर प्रेरित किया जा सके.
लेखक: रामजी कुमार, समस्तीपुर, FTJ
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