नाथद्वारा (राजस्थान) के निकट संत कृपा सनातन संस्थान द्वारा संचालित केंद्र गऊ सेवा में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। 25 बीघा में फैली इस गौशाला पर अब तक 10 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। यहां 80 लोग ऑटोमैटिक मशीनों से गायों की देखभाल करते है। लक्ष्मीकांत शर्मा (मैनेजर, गौशाला) की माने तो गायों को घास खिलाने, दूध निकालने, दूध नापने आदि अधिकांश काम हाईटेक ऑटोमैटिक मशीनों से किए जाते हैं।
मिराज ग्रुप द्वारा संचालित गौशाला वर्ष 2001 में 100 गायों से शुरू हुई थी जिनकी संख्या आज बढ़कर 1331 हो चुकी हैं। इनसे प्रतिदिन 650 लीटर दूध निकलता है जिसे बाजार में बेच दिया जाता है।
गौशाला में बायोगैस प्लांट भी लगा हुआ है। जहां तक गायों के आहार की बात है। गायों को सूखे चारे में ज्वार की कुट्टी, गेहूं, मैथी, ग्वार, मसूर का खांखला और हरे चारे में ज्वार, बाजरा व रिजका दिया जाता है। गौशाला पर लगभग 15-16 लाख रुपए प्रतिमाह खर्च होता है जबकि दूध और कंपोस्ट (खाद) को बेचकर कुल सात लाख रुपए की आमदनी होती है।
गौशाला में शामिल सभी गायों के गले में ऑटोमैटिक मेडिकल बेल्ट लगे हुए हैं। बेल्ट्स पर उपस्थित कार्ड में गायों का ब्लडप्रेशर, गाभिन होने का समय तथा बीमारियां आदि उल्लेखित रहती हैं। गायों के लिए ऑटोमैटिक काउ-ब्रश की व्यवस्था है।
गोशाला में सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। मदन पालीवाल (सीएमडी, मिराज ग्रुप) की माने तो गायों के आहार और देखभाल के लिए यहां पूरा ध्यान रखा जाता है। इसके लिए एडवांस मशीनों का भी सहारा लिया जाता है।
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