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Kargil Vijay Diwas: “या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा” – कैप्टन विक्रम बत्रा

26 जुलाई को विजय कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन साल 1999 में “ऑपरेशन विजय” के तहत कारगिल को पाकिस्तानी धुसपैठियों के चंगुल से पूरी तरह मुक्त किया. इस साल हम कारगिल दिवस की 23वीं वर्षगांठ मना रहे हैं...

निशा थापा
kargil diwas 2022
kargil diwas 2022

कारगिल युद्ध में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों के पराक्रम, बलिदान और साहस को आज देश याद कर रहा है. यह वह दिन है जब हम भारत के रक्षा बलों की वीरता को याद करते हैं, जिन्होंने 1999 में पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों पर अपनी वीरता तथा बहादुरी से पाकिस्तान सैनिकों को धुल चटाई थी.

कारगिल युद्ध 'ऑपरेशन विजय'

कारगिल युद्ध मई 1999 में जम्मू-कश्मीर के कारगिल की पहाड़ियों में शुरू हुआ था. दो महीने की लंबी लड़ाई के दौरान, भारत ने 'ऑपरेशन विजय' के तहत कई सैनिकों को तैनात किया. कारगिल की पहाड़ियों पर दुश्मन का पता लगाना बेहद ही मुश्किल था. भारतिय सैनिकों के लिए सबसे बड़ी परेशानी का कारण यह था कि दुश्मन ऊपर पहाड़ी से भारतिय सेना की हर एक गतिविधि पर नजर रखे हुए थे और लगातार हमला कर रहे थे. जवानों ने अपनी सूझबूझ की बदौलत रात के अंधेरे में पहाड़ी पर चढ़कर पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ा और कारगिल के पहाड़ों में तिरंगा लहरा कर जीत हासिल करी. यूं तो इस विजय पर कारगिल युद्ध में मौजूद हर एक सैनिक का विषेश योगदान रहा मगर कहा जाता है कि अगर कैप्टन विक्रम बत्रा न होते तो शायद यह जीत मुश्किल थी. उन्होंने युद्ध में जाने से पहले कहा था " “या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा”.  उनकी शहादत के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान “परम विर चक्र” से नमाजा गया.

कारगिल युद्ध में 527 जवानों ने दी शहादत

कारगिल युद्ध में भारत को विजय तो जरूर मिली, मगर देश ने 527 सैनिकों की आहुती भी दी. युद्ध कोई भी हो नुकसान दोनो पक्षों को झेलना पड़ता है. पाकिस्तानी सेना के 357 सैनिकों को देश के वीरों मार गिराया था और कई घुसपैठियों को भागने पर मजबूर किया. तो वहीं कारगिल युद्ध में 453 आम लोगों की भी मौत हो गई.

देश की नव निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी श्रद्धांजलि

द्रौपदी मुर्मू ने ट्विट कर कहा कि “कारगिल विजय दिवस हमारे सशस्त्र बलों की असाधारण वीरता, पराक्रम और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है. भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले सभी वीर सैनिकों को मैं नमन करती हूं. सभी देशवासी, उनके और उनके परिवारजनों के प्रति सदैव ऋणी रहेंगे. जय हिन्द!”.

यह भी पढ़ें : Draupadi Murmu: द्रौपदी मुर्मू ने ली देश के 15वें राष्ट्रपति की शपथ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि

“कारगिल विजय दिवस मां भारती की आन-बान और शान का प्रतीक है. इस अवसर पर मातृभूमि की रक्षा में पराक्रम की पराकाष्ठा करने वाले देश के सभी साहसी सपूतों को मेरा शत-शत नमन. जय हिंद!.”

आसान नहीं होता है अपना घर परिवार छोड़ मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर करना, एक वीर जवान को देश की रक्षा के लिए बहुत सी चीजों की कुर्बानी देनी पड़ती है, उनके लिए अपने परिवार से पहले देश होता है, तभी तो वह बिना किसी डर और ईर्ष्या के खुशी- खुशी अपने प्राण की आहुती दे देते हैं. कृषि जागरण नमन करता है ऐसे वीरों की वीरता को.

English Summary: know the reason behind kargil vijay diwas Published on: 26 July 2022, 01:04 PM IST

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