पुराने समय से ही महिलाएं हमेशा उस धन पर निर्भर रही हैं, जो उनके पति या मुख्या द्वारा दिया जाता था. जो उनके परिवार की शिक्षा, कपड़े और स्वास्थ्य देखभाल की जरूरतों को पूरा करता था, लेकिन अब ज़माना बदल रहा है, महिलाएं आगे आना तो दूर बल्कि अपने दम पर आज कमा-खा रही हैं. ऐसे में महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) के लिए सरकार द्वारा कई तरह की मदद की जा रही है, जिससे ग्रामीण या ट्राइबल महिलाएं भी आत्मनिर्भर (Women Employment) बन सकें.
चिकन शेड से सुधरेगी महिलाओं की आर्थिक स्थिति (Economic condition of women will improve with chicken shed)
देश में पशुपालन क्षेत्र (Animal Husbandry) को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर (Atmanirbhar Bharat) बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही है. जिसके चलते कटनी के ढ़ीमरखेड़ा क्षेत्र की महिलाओं को मनरेगा (MNREGA) के तहत आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जा रहा है. बता दें कि ग्रामीण महिलाओं को रोजगार (Rural Women Employment) देने के लिए चिकन शेड (Chicken Sheds) बनाने का काम किया जा रहा है.
300 शेड बनाने का है लक्ष्य (The target is to build 300 sheds)
पशुपालन में पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) को लेकर लोगों का तेज़ी से इसकी ओर रुख मुड़ रहा है, इसलिए यहां की कलेक्टर प्रियांक मिश्रा के निर्देशानुसार पोल्ट्री शेड का निर्माण किया जा रहा है. महिलाओं को स्वावलंबी बनाने और उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा 15 गांवों में अभियान चलाकर कुक्कुट शेड निर्माण के लिए 424 सदस्यों का चयन किया गया है. दूसरे चरण में सगौना, अमजल, कोठी, झिन्ना पिपरिया, मूडीखेड़ा, बिजोरी, जिरी, चाहर आदि गांवों में 300 शेड बनाए जाएंगे.
मनरेगा योजना करेगी ग्रामीणों की मदद (MNREGA scheme will help the villagers)
इसके तहत ग्रामीण महिलाओं को हर महीने करीब 5 से 7 हजार रुपये की आय मिल सकेगी. बताया जा रहा है कि पहले चरण में ढ़ीमरखेड़ा के 9 गांवों में मनरेगा योजना के तहत पोल्ट्री शेड का निर्माण किया गया है. जिसमें स्वयं सहायता समूहों से जुड़े 158 सदस्य शामिल हैं और उनके द्वारा शेड के निर्माण के बाद मुर्गी पालन का काम भी शुरू कर दिया जायेगा.
छत्तीसगढ़ में पशुपालन से मिलेगा रोजगार (Animal husbandry will get employment in Chhattisgarh)
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ भी पीछे नहीं है. जी हां, इस राज्य में भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं. जिसके चलते धमतरी जिले के गांवों में बकरी, मुर्गा और सुअर की बिक्री के लिए बेहतर बाजार शुरू किये गए हैं. ऐसे में गोठान के माध्यम से महिलाओं को रोजगार देने के लिए बकरी, मुर्गी पालन और सुअर पालन पर जोर दिया जा रहा है. बता दें कि महिलाएं इन्हें बेचकर पैसा कमा रही हैं और आर्थिक रूप से मजबूत बन रही हैं.
खास बात यह है कि जिले में संचालित 270 गोठानों में गोबर से बनी खाद (Cow Dung Manure) बेचने व बनाने के अलावा समूह की महिलाओं के पास और कोई रोजगार नहीं है. ऐसे में वह लगातार रोजगार की मांग कर रही हैं. और इसी के मद्देनज़र गोठान से ही महिलाओं को रोजगार देने के प्रयास शुरू हो गए हैं. यहां लगातार जिले में संचालित गोठानों का निरीक्षण कर गोठानों के माध्यम से महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया जा रहा है.
मशरूम उगाना है फायदे का सौदा (Growing Mushrooms is a profitable deal)
पशुपालन के अलावा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए खेती पर भी जोर दिया जा रहा है. जिसके चलते जिले की महिलाओं को मशरूम उगाने (Mushroom Farming) के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इसके लिए गोठानों में सामुदायिक मशरूम उत्पादन शेड (Mushroom Sheds) भी बनाए जाएंगे.
जिला प्रशासन की यह योजना महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. क्योंकि मशरूम की खेती को देश में काफी बढ़ावा मिल रहा है, जिससे किसानों की आय में सुधार देखने को मिल रहे हैं.
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