कृषि विज्ञान केन्द्र रीवा द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत तिलहन फसलों की उत्पादकता को जिले में बढ़ावा देने हेतु क्लस्टर प्रदर्शन आयोजित किए गए. जिसके तहत किसानों को तिलहन के तहत अलसी की उन्नत किस्म जे.एल.एस 27 का 30 हैक्टेयर में प्रदर्शन कर खेती के तरीके के लिए प्रदर्शन कर दिखाया जा रहा है. क्लस्टर प्रदर्शन के तहत जिले के चयनित गांव बरा, कठार, सोनौरी, अमरा, खडडा, मोहरबा,पुरैना, फुलहा, रीठी, डेल्ही, के चयनित कृषकों को अलसी की उन्नत उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण आयोजित कर कृषकों को उन्नत किस्म जे.एल.एस. 27 का प्रजनक बीज तरल जैव उर्वरक (एजोबेक्टर एवं पीएसबी) सल्फर (दानेदार) एवं केचुआ खाद इत्यादि आदान सामग्री वितरित की गईं .
कृषि विज्ञान केन्द्र रीवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं केंद्र प्रमुख डॉ. अजय कुमार पाण्डेय ने कृषकों से अलसी का अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने की अपील की है. साथ ही उन्होंने सलाह दी कि इस वर्ष जिले में वर्षा कम हुई है अतः किसान भाई असिंचित क्षेत्र में अधिक से अधिक अलसी की खेती कर लाभ प्राप्त करें.
इस कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. बृजेश कुमार तिवारी ने संपूर्ण कार्यक्रम में कृषकों को अलसी उत्पादन की संपूर्ण सस्य वैज्ञानिक पद्धति को विस्तृत से समझाया. केंद्र के पौध रोग वैज्ञानिक डॉ. के. एस. बघेल ने अलसी में लगने वाली प्रमुख बीमारियों की प्रबंधन की विस्तृत जानकारी दी तो वहीं कीट वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश कुमार ने अलसी के प्रमुख कीटों के प्रबंधन को विस्तार से समझाया. उद्यान वैज्ञानिक डॉ. अलसी के महत्व प्रकाश डाला. कार्यक्रम के दौरान कृषि वानिकी विशेषज्ञ डॉ. निर्मला सिंह ने बदलते मौसम में कृषकों को कृषि वानिकी पद्धतियां अपनाने को कहा .विस्तार शिक्षा के वैज्ञानिक डॉ. किंजल सिंह एवं डॉ. संजय सिंह ने जैविक खेती को बढ़ावा देने का सुझाव दिया. अलसी खेती के लिए उचित मृदा प्रबंधन के लिए मृदा वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश कुमार पटेल ने अलसी में सल्फर 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बुवाई के समय प्रयोग करने एवं मृदा परीक्षण आधारित उर्वरक उपयोग करने के महत्व पर विस्तार से चर्चा की. कार्यक्रम का समापन एम.के. मिश्रा के भाषण के साथ हुआ.
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