आजकल बाट-तराजू का कारोबार देश के सब्जी या अनाज मंडियों तक ही सिमट के रह गया है. वैसे तो बाट-तराजू का कारोबार वैध है लेकिन सबसे बड़े राज्य यूपी में एक ऐसा जगह है जहां पर अवैध रूप से बाट-तराजू का कारोबार किया जा रहा था. दरअसल यूपी के मुरादाबाद जिले के गांव सिरसवां हरचंद के मझरा में में आज भी बाटा कारोबार चलता है. यहां बिजली के बदले गांव वालों से बिजली कर्मचारी अनाज वसूलते है. गेहूं के सीजन में गेहूं और धान के सीजन में धान. गांव वालों की मानें तो बिजली कर्मचारी कई बार धन या गेहूं के बजाय दालें और घी-दूध भी ले जाते हैं.
गौरतलब है कि गांव में आठ साल से बिजली की सप्लाई है. तक़रीबन हर एक घर में बिजली का इस्तेमाल होता है. लेकिन मीटर अभी भी एक भी घर में नहीं लगा है. बिजली वाले खपत का अंदाजा लगाकर तय कर लेते है कि किस घर से कितना अनाज लेना है. मंगलवार को भी यही सिलसिला चल रहा था. लेकिन उसी समय पुलिस पहुंची गई. पुलिस के पहुंचने के बाद बिजली वाले आठ बोरा धान और बाट - तराजू छोड़कर भाग गए। भाजपा जिलाध्यक्ष के दखल के बाद पुलिस ने लाइनमैन समेत दो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है.
गांव वालों की मानें तो भगतपुर थाना क्षेत्र के गांव सिरसवां हरचंद का मझरा में यह सिलसिला पिछले आठ सालों से चल रहा था. हर महीने बिजली वाले गांव आते हैं और बिजली खर्च का अनुमान लगाकर अनाज वसूल लाते हैं. मंगलवार को भी गांव में बिजली वाले अनाज तोल रहे थे. गांव में भाजपा का बूथ समिति सम्मान कार्यक्रम था. इसमें पहुंचे भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम शर्मा से ग्रामीणों ने वसूली की शिकायत की. जिसके बाद भाजपा जिलाध्यक्ष ने भगतपुर इंस्पेक्टर को मौके पर बुला लिया. पुलिस देख बिजली वाले अनाज छोड़कर भाग निकले.
भाजपा जिलाध्यक्ष, हरिओम शर्मा ने कहा है कि 'सरकार की नीतियों के खिलाफ जाकर कुछ अधिकारी और विभाग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. सिरसवां हरचंद में सालों से यह खेल चल रहा था. मामले में एफआईआर दर्ज कराई है. इसमें शामिल बिजली अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई कराई जाएगी'.
विवेक राय, कृषि जागरण
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