
Electricity Subsidy For Farmers: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों को बड़ी राहत देते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. अब प्रदेश के कृषि उपभोक्ता मात्र 1 रुपये प्रति यूनिट की रियायती दर पर बिजली का उपयोग कर सकेंगे. इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार स्वयं 4.04 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी वहन करेगी. वर्तमान में कृषि उपभोक्ताओं के लिए बिजली की वास्तविक लागत 5.04 रुपये प्रति यूनिट है.
किसानों को सीधे फायदा, सरकार उठाएगी वित्तीय भार
राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली इस सब्सिडी का पूरा भार सरकारी खजाने से उठाया जाएगा, जिससे किसानों पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा. यह फैसला कृषि क्षेत्र को मजबूती देने और किसानों की उत्पादन लागत को कम करने के उद्देश्य से लिया गया है. खबरों के अनुसार, इस पहल का मुख्य लक्ष्य किसानों की आजिविका को सुरक्षित और टिकाऊ बनाना है.
पहले के अधिक बिल होंगे समायोजित
खबरों के अनुसार, कुछ किसानों को सब्सिडी अधिसूचना में देरी के कारण पहले के बिजली बिल अधिक दरों पर प्राप्त हुए होंगे, लेकिन उन्हें परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. पहले से जमा की गई अतिरिक्त राशि को भविष्य के बिलों में समायोजित कर दिया जाएगा. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों को कोई आर्थिक हानि न हो.
कृषि और ग्रामीण विकास को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश सरकार लगातार कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रही है. सरकार का मानना है कि यह निर्णय न केवल कृषि को लाभकारी बनाएगा, बल्कि इससे सिंचाई की सुविधा का विस्तार, उत्पादन में वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास भी संभव होगा.
किसानों के लिए राहत की लंबी फेहरिस्त
यह पहली बार नहीं है जब हिमाचल सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लिया है. इससे पहले भी सरकार ने – प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सहायता उपलब्ध कराने और किसान क्रेडिट कार्ड योजना के दायरे को विस्तृत करने जैसे कई कदम उठाए हैं.
अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए बन सकता है मॉडल
खबरों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश सरकार की यह पहल अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकती है. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कृषि पहले से ही जलवायु और संसाधनों की सीमाओं से प्रभावित रहती है. ऐसे में यह निर्णय किसानों को सशक्त करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है.
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