जहां एक तरफ हर साल प्रोग्रेसिव फार्मर्स (Progressive Farmers) के लिए प्रोग्राम आयोजित किया जाता है. वहीं अपनी प्रोग्रेसिव खेती से किसान हम सभी को चौंकाते रहते है. और कुछ ऐसी ही एक खबर बिहार से भी आ रही है.
भागलपुर में होगी अनानास की खेती (Pineapple will be cultivated in Bhagalpur)
दरअसल, अब भागलपुर जिले (District Bhagalpur) में पहली बार अनानास की खेती (Pineapple Farming) की जाएगी. बिहपुर के एक किसान ने एक हेक्टेयर में अनानास लगाने का फैसला किया है. इसके लिए किसान को 26 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा. किसान के लिए अनानस का पौधा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस देसीरी वैशाली (Center Of Excellence Desiree Vaishali) द्वारा दिया जायेगा. अनुमान है कि लगभग एक हेक्टेयर में 43 से 45 हजार पौधे लग सकेंगे.
अनानास की खेती के फायदे (Benefits of pineapple cultivation)
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अनानास को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है.
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अनानस को मुक्त जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है.
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अनानस को अधिक मिट्टी या उच्च गुणवत्ता वाली मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है.
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अनानास को अपनी पत्तियों के माध्यम से बहुत सारा पानी और पोषण मिलता है.
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अनानास को थोड़ी अम्लीय मिट्टी पसंद होती है, जो कि वैसे भी अधिकांश बगीचों में होती है.
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अनानस पूर्ण सूर्य में उगते हैं, यहां तक कि सबसे गर्म जलवायु में भी, लेकिन यह नम छाया में भी अच्छी उपज प्रदान कर सकता है.
अनानास की खेती के लिए आवेदन (Application will be available for pineapple cultivation)
बता दें कि अनानस की खेती (Pineapple Farming) अब तक किशनगंज (Kishanganj), पूर्णिया (Purniya) और कटिहार (Katihar) क्षेत्रों में की जाती रही है. भागलपुर क्षेत्र में पहली बार प्रायोगिक आधार पर अनानास की खेती की जाएगी. जिले को एक हेक्टेयर का लक्ष्य दिया गया था. इसके लिए किसानों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे. बिहपुर के किसान ने एक हेक्टेयर में अनानास की खेती के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है. इसी के चलते किसान को उद्यानिकी विभाग द्वारा अनुदानित दर पर पौधा उपलब्ध कराया जायेगा.
सहजन की भी होगी खेती (Drumstick will also be cultivated)
यहां के किसान यही तक सिमित नहीं है, बल्कि अब जिले में सहजन की खेती (Drumstick Farming) भी की जाएगी. इसके लिए राज्य सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है. इस जिले में 10 हेक्टेयर में सहजन की खेती की जाएगी. इसके लिए पहले स्टेज में 30 किसानों को प्रशिक्षण के लिए पौधा दिया जाएगा.
सहजन की खेती की ख़ासियत (Features of drumstick cultivation)
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कम पानी की आवश्यकता होती है.
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सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है.
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बारहमासी फसल होती है.
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अधिकांश कीटों और रोगों का प्रतिरोधक है.
सहजन की खेती पर मिलेगी सब्सिडी (Subsidy will be available on drumstick cultivation)
विशेष बागवानी फसल योजना (Special Horticulture Crop Scheme) के तहत सहजन की खेती (Drumstick Farming) के लिए किसानों को रियायती दर पर पौधे उपलब्ध कराये जायेंगे. पहली किस्त में 75 फीसदी और दूसरी किस्त में 25 फीसदी राशि दी जाएगी. कुल 37 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान मिलेगा. बता दें कि सहजन एक पौष्टिक सब्जी है. साथ ही सहजन के पत्ते, फल और फूल सभी का सेवन किया जाता है.
सहजन उत्पादन पहल के उद्देश्य (Objectives of Drumstick Production Initiative)
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सीमांत किसानों की आय बढ़ाने के लिए मदद करती है.
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सीमांत किसानों के परिवार के सदस्यों को पोषण सुरक्षा देती है.
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सीमांत किसानों की बेहतर आजीविका के लिए योगदान देती है.
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