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सरकार लगाएगी उर्वरक सब्सिडी पर नियंत्रण, 7 जिलों में पायलट तौर पर परियोजना होगी लागू

इस पायलट परियोजना को शुरू करने से पहले राज्यों के पास खेतों का डिजिटल रिकॉर्ड, फसल सर्वेक्षण तथा मृदा स्वास्थ्य कार्ड की जरुरत होगी.

रवींद्र यादव
उर्वरक सब्सिडी पर नियंत्रण
उर्वरक सब्सिडी पर नियंत्रण

सरकार पायलट आधार पर कई राज्यों के सात जिलों में उर्वरकों की एक संशोधित प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना शुरू करेगी. इस नई योजना के अनुसार किसानों को उनकी भूमि के आधार पर उर्वरक पर सब्सिडी प्रदान की जाएगी.

उर्वरक विभाग के सचिव अरुण सिंघल के मुताबिक, किसानों के भू-अभिलेखों के आधार पर उनके अत्यधिक सब्सिडी वाले उर्वरकों के कोटे को तय किया जाएगा. सिंघल ने बताया, "निर्धारित लीमिट के ऊपर उर्वरक की खरीद पर कोई छूट नहीं मिलेगी. इस पायलट परियोजनाओं को शुरू करने से पहले राज्यों के पास मौजूद डिजिटल भूमि रिकॉर्ड, फसल सर्वेक्षण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड का कवरेज और खेतों की गणना की जाएगी. यह योजना कर्नाटक, असम, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र सहित सात राज्यों के एक-एक जिले में लागू की जाएगी.

पोषक तत्वों और प्राकृतिक गैस का एक बड़ा हिस्सा आयात किए जाने के कारण उर्वरक सब्सिडी में भारी उतार-चढ़ाव का खतरा रहता है. यूक्रेन युद्ध के कारण, उच्च वैश्विक कीमतों के कारण, 2022-23 में उर्वरक सब्सिडी का रिकॉर्ड 2.53 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया है. राजस्व व्यय पर लगाम लगाने और पूंजी निवेश की योजना के लिए उर्वरकों पर सब्सिडी को विनियमित करना बेहद जरुरी है.

किसानों के कोटे की उर्वरक खुदरा दुकानों पर स्थापित संबंधित पॉइंट ऑफ़ सेल मशीनों के माध्यम से स्थानांतरित किया जाएगा. सरकार द्वारा प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण के विचार पर आपत्ति जताई गई थी, क्योंकि इस मॉडल के तहत, किसानों को उनके बैंक खातों में वास्तविक सब्सिडी राशि स्थानांतरित करने से पहले उर्वरक खरीदने के लिए पर्याप्त राशि का अग्रिम भुगतान करना पड़ता था.

यूरिया के लिए किसान लगभग 2,650 रुपये प्रति बैग की उत्पादन लागत के मुकाबले 242 रुपये प्रति बैग (45 किलोग्राम) निर्धारित मूल्य का भुगतान करते हैं और शेष राशि सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में प्रदान की जाती है.

ये भी पढ़ेंः उर्वरकों पर कम नहीं होगी सब्सिडी, केंद्र सरकार ने दी किसानों को बड़ी राहत

(डीएपी) को 2020 में सरकार द्वारा वर्ष में दो बार घोषित पोषक तत्व आधारित सब्सिडी तंत्र के हिस्से के रूप में 'फिक्स्ड-सब्सिडी' व्यवस्था की शुरुआत के साथ 'नियंत्रित' कर दिया गया था. उच्च वैश्विक कीमतों के कारण, 2022-23 में उर्वरक सब्सिडी रिकॉर्ड 2.53 ट्रिलियन रहा है. यह लगातार तीसरा वर्ष होगा जब उर्वरक पर वार्षिक बजट खर्च पिछले वर्ष की तुलना में 70 हजार करोड़ रुपये की निचली सीमा के मुकाबले एक ट्रिलियन से अधिक होगा. देश डीएपी की अपनी आवश्यकता का लगभग आधा हिस्सा आयात करता है और यूरिया की लगभग 25% आवश्यकता आयात के माध्यम से पूरी की जाती है.

English Summary: Govt aims to cap fertiliser subsidy, pilot projects in 7 districts soon Published on: 21 March 2023, 05:34 PM IST

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