मध्यप्रदेश राज्य में वनवासियों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिए जंगल के अलावा नए तरह के रास्ते तलाशे जा रहे है. यहां पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर राज्य में 6500 एकड़ क्षेत्र में बांस और औषधीय पौधों को अजीविका का वैकल्पिक साधन बनाने का पूरा रोडमैप तैयार किया जा रहा है.
राज्य के जंगलो में निवास करने वाले वनवासियों की अजीविका का साधन मूल रूप से वनों मेंहोने वाली उपज होती है. इसके अलावा उनको अजीविका के नए रास्ते मिले इसके लिए राज्य में इस दिशा में प्रयास किए जा रहे है.
बांस और औषधीय खेती पर ज्यादा ध्यान (More attention on bamboo and medicinal farming)
राज्य में अजीविका के लिए वैसे तो बहुत सारे साधन उपलब्ध है लेकिन सरकार की कोशिश है कि यहां विकल्पों के तौर पर बांस और औषधीय उपज पर जोर दिया जाए. यहां पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 6500 एकड़ क्षेत्र में बांस और औषधीय पौधों की खेती को करने का कार्य किया जाएगा. इस पर वनमंत्री उमंग सिंघार भी कहते है कि वनवासी पूरी तरह से वनोपर्जन पर निर्भर ना रहें. उनके मुताबिक वनवासियों और आदिवासियों वर्ग के लोगों की अजीविका पूरी तरह से जंगलों पर निर्भर है अब उनकी निर्भरता को कम करने के प्रयास हो रहे है.
वनवासियों को मिलेगी नई ऊर्जा (Forest dwellers will get new energy)
वन मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के बजट में वनीकरण पर जोर दे जाने की चर्चा की. बिगड़े हुए वनों की भूमि पर बड़े पैमाने पर बांस के पौधे लगाने और भूमिहीन मजदूरों को बांस उत्पादन का ज्यादा अधिकार देने का निर्णय वनवासियों के जीवन में नई तरह की ऊर्जा का संचार देगा.
यह खबर भी पढ़ें : Herbal Farming: हर्बल खेती को सरकार दे रही है बढ़ावा, इससे किसानों की आय होगी दोगुनी
सिंघार कहते है कि वन विकास की योजनाओं के लिए 2 हजार 757 करोड़ रूपये का प्रावधान निश्चित ही सभी तरह के वन्यप्रणियों और वनवासियों और आदिवासियों के संरक्षण में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा. इससे आने वाले समय में काफी ज्यादा लाभ होगा
Share your comments