केंद्र सरकार ने जूट थैला का उत्पादन बढ़ाने के लिए उदारता दिखाई है. जूट मिलों को उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने सितंबर माह तक समय बढ़ा दिया है. प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक अनाज की पैकेजिंग में जूट थैला का 100 प्रतिशत और चीनी के लिए 20 प्रतिशत जूट थैला का इस्तेमाल अनिवार्य करने का जो नियम है उसे सितंबर तक कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया गया है. जाहिर है यह नियम सख्ती से लागू करने पर बाजार में जूट के थैलों की मांग बनी रहेगी. जूट के थैला की कमी होने पर भी विकल्प के रूप में अनाज के पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.जूट आयुक्त मलयचंद चक्रवर्ती ने अपने एक बयान में कहा है कि केंद्र सरकार ने जूट उद्योग के हित में सख्ती से नियमों को लागू करने का जो निर्देश दिया है उससे जूट मिल मालिकों को अवगत करा दिया गया है. मिल मालिकों को जूट के थैला का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य पूरा करने को भी कहा गया है.
जूट के थैलों की समस्या
लॉकडाउन के कारण जूट मिलों में उत्पादन पर जो असर पड़ा था उसकी भरपाई के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार भी गंभीरता से विचार कर रही है. रबी की फसल कटने के बाद अधिकांश राज्यों में अनाज को बस्तों में भर कर गोदामों या मंडियों तक ले जानी की जरूरत आ पड़ी है. ऐसी स्थिति में कृषि उपज की पैकेजिंग के लिए जूट थैलों की भारी कमी महसूस की जा रही है. प्राप्त खबरों के मुताबिक कृषि प्रधान अधिकांश राज्यों के किसान और व्यापारी जूट के थैलों की समस्या से जूझ रहे हैं.
जूट का थैला उपलब्ध कराने की मांग
अनाज की पैकेजिंग के लिए जूट का थैला बहुत सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत अच्छा माना जाता है. लेकिन रबी की फसल कटने के बाद जूट के थैलों की इतनी कमी है कि उसकी जगह प्लास्टिक थैलों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र आदिर राज्यों के कृषि मंत्रियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अनाज की पैकेजिंग के लिए जूट का थैला उपलब्ध कराने की मांग की है.
केंद्र से निर्देश मिलने पर जूट आयुक्त ने पश्चिम बंगाल में स्थित सभी जूट मिल मालिकों को अधिक से अधिक उत्पादन करने का निर्देश दिया है. किसानों और व्यापारियों को अनाज की पैकेजिंग के लिए जूट थैला की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने को लेकर केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय भी हरत में आया है. जूट थैलों के अभाव में तो सरकार को अनाज की पैकेजिंग के लिए 6.5 लाख पलास्टिक बैग की खरीद करनी पड़ी है. लेकिन दोबारा अनाज की पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक बैग खरीदने की जरूरत नहीं पड़े, इसका खयाल रखते हुए सितंबर तक अनाज की पैकेजिंग में 100 प्रतिशत जूट थैला के इस्तेमाल करने की अनिवार्यता बहाल रखी जाएगी. खरीफ की फसल के लिए 17 लाख बेल जूट के थौलों की जरूरत है. सितंबर तक नियम बहाल रहने से जूट मिलों को उत्पादन बढ़ाने के लिए कुछ समय मिल गया.
उल्लेखनीय है कि पहले लॉकडाउन, उसके बाद चक्रवाती तूफान और फिर श्रमिकों के अभाव को लेकर जूट मिलों में उत्पादन प्रभावित हुआ. 25 मार्च से लॉकडाउन के कारण जूट मिलों में उत्पादन बंद हो गया था. कारखाना में काम बंद होते ही बिहार, यूपी, ओड़िशा और झारखंड आदि के मजदूर अपने गांव लौट गए. एक जून से अनलॉक- 1 शुरू होने पर पश्चिम बंगाल की सभी जूट मिलों में 100 प्रतिशत श्रमिकों के साथ काम शुरू करने की सरकार से अनुमति मिली. लेकिन श्रमिकों के अभाव के कारण कारखानों में सुचारू रूप से उत्पादन करना संभव नहीं हुआ.कुछ श्रमिक जो स्थाई रूप से यहां रहते हैं वे काम पर जाने लगे हैं. प्रवासी मजदूरों का लौटना भी शुरू हुआ है.
श्रमिकों के अभाव से जूझने के बावजूद जूट मिल मालिक प्रतिदिन 10 हजार बेल जूट का थैला उत्पादित करने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं. जूट मिल मालिकों के संगठन आईजेएमए की ओर से श्रमिकों के अभाव तथा उत्पादन बढ़ाने में आने वाली बाधाओं की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया है. पश्चिम बंगाल के करीब 60 जूट मिलों में लगभग 4 लाख श्रमिक कार्यत हैं. लेकिन लॉकडाउन में कारखाना बंद होने के बाद प्रवासी मजूदरों के अपने गांव चले जाने से समस्या पैदा हुई है.
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