गाय, भैंस और सूकर पालन के बाद भारत में बकरी पालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय (Goat Farming Business) है. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब की गाय के नाम से मशहूर बकरी हमेशा से ही आजीविका के सुरक्षित स्रोत के रूप में पहचानी जाती रही है. इसके रख-रखाव में लागत भी कम होता है. वहीं सूखा पड़ने के दौरान भी इसके चारे का इंतज़ाम आसानी से हो सकता है. इसकी देखभाल का कार्य भी महिलाएं एवं बच्चे आसानी से कर सकते हैं.
इसके अलावा, बकरी पालन (Goat Farming) करने के लिए किसी भी प्रकार की तकनीकी ज्ञान की जरुरत भी नहीं पड़ती. वहीं इनके लिए स्थानीय स्तर पर बाजार भी आसानी से मिल जाते हैं. अधिकतर व्यवसायी गांव से ही आकर बकरी-बकरे को खरीदकर ले जाते हैं. ऐसे में बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय है (Goat Farming is a Profitable Business) और किसान भाई खेती के साथ बकरी पालन व्यवसाय (Goat Farming Business) को आसानी से कर सकते हैं. इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारों के द्वारा समय – समय पर बढ़ावा भी दिया जाता है.
बकरी पालन पर 90% सब्सिडी का लाभ (Benefit of 90% Subsidy on Goat Farming)
अब इसी क्रम में बकरी पालन (Goat Farming) को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा का पशुपालन विभाग गाय व भैंस की तर्ज पर बकरी का भी कृत्रिम गर्भाधान (Goat Artificial Insemination) करने जा रहा है. इसके अलावा, भेड़ व बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन विभाग ने भेड़-बकरी पालकों द्वारा राज्य सरकार से लिए जाने वाले लोन की सब्सिडी भी 50% से बढ़ाकर 90% कर दी है. हालांकि बकरी पालन पर 90% सब्सिडी का लाभ सिर्फ अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को ही मिलेगा. इसके अलावा, सामान्य वर्ग के लोगों को भी भेड़-बकरी खरीदने पर 25% सब्सिडी प्रदान की जायेगी .
बकरियों का कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination of Goats)
गौरतलब है कि बकरी पालन पर सब्सिडी (Subsidy on Goat Farming) का लाभ 15 बकरियों व एक बकरा तथा 15 भेड़ों व मिड्डा की खरीदी पर ही मिल पाएगा. इसके साथ ही हरियाणा पशुपालन विभाग (Haryana Animal Husbandry Department ) जल्द ही बकरियों के लिए भी कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा भी शुरू करने जा रहा है. इससे राज्य के हजारों पशुपालक लाभन्वित होंगे.
पाठकों को बता दें कि बकरियों के कृत्रिम गर्भाधान की विधि में धन एवं श्रम की बचत होती है क्योंकि पशु पालकों को बकरे पालने की आवश्यकता नहीं होती. साथ ही पशुओं के प्रजनन सम्बंधित रिकार्ड रखने में आसानी होती है. विकलांग या असहाय बकरे का प्रयोग भी प्रजनन के लिए किया जा सकता है. कृत्रिम गर्भाधान में बकरे के आकार या भार का बकरी के गर्भाधान के समय कोई फर्क नहीं पड़ता. कृत्रिम गर्भाधान विधि में नर से मादा तथा मादा से नर में फैलने वाले संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है.
हरियाणा सरकार की पशुपालकों के हित में उचित पहल है- बकरियों के कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा. बकरियों की नस्ल सुधारने और लुप्त होती प्रजातियों को बचाने के लिए की जा रही इस पहल से दुग्ध उत्पादन भी बढ़ेगा और पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी.
कृत्रिम गर्भाधान के लिए पशु चिकित्सकों को दी जाएगी ट्रेनिंग (Veterinarians will be given training for artificial insemination)
डॉ. सतप्रकाश, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग के मुताबिक, हरियाणा के भिवानी जिले में शुरुआती दौर पर बकरी के कृत्रिम गर्भाधान के लिए 5 केंद्र बहल, ढिगावा, कैरू, ईशरवाल व झुपा कलां बनाए गए हैं, जिनमें यह सुविधा दी जाएगी. वहीं बकरी में कृत्रिम गर्भाधान कैसे करें, इसके लिए जिले के दो पशु चिकित्सकों को पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा, प्रशिक्षित पशु चिकित्सक बाद में जिले के सभी पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षित करेंगे. यदि इस योजना से बकरी पालन करने वाले किसानों को लाभ मिलता है, तो बाद में इस सुविधा का पूरे जिले में विस्तार किया जाएगा.
बता दें कि पशुपालन विभाग पहले गाय व भैंस में कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध करवाता था, लेकिन यह सुविधा अब जल्द ही बकरियों के लिए भी शुरू की जाएगी.
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