पिछले साल की स्थिति और अचानक से हुए लॉकडाउन की बात करें तो उसने बहुत कुछ बदल कर रख दिया है. लॉकडाउन को समाप्त हुए लगभग एक साल होने जा रहा है, लेकिन अभी तक इसका प्रभाव हम सबके ज़िंदगी में है.
एक तरह से यह सही भी है, क्योंकि बीमारी अभी तक पूर्ण रूप से ख़त्म नहीं हुआ है, और इस साल महामारी और उसके कारण हुए लॉकडाउन ने मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में कई किसानों को पारंपरिक गेहूं की खेती की ओर रुख करने के लिए मजबूर किया है.
मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के बसंतपुर गांव के किसानों ने एक मीडिया रिपोर्ट में बताया कि, पिछले साल रबी सीजन के लिए 3 एकड़ जमीन पर टमाटर लगाया था और ऐसा करने के लिए लगभग 65 हजार रुपये खर्च किए थे. जब सरकार ने इस साल अप्रैल की शुरुआत में लॉकडाउन की घोषणा की, तो मेरी टमाटर की फसल अच्छी स्थिति में थी. मैं अपनी टमाटर की फसल से कम से कम तीन से चार लाख रुपये की उम्मीद कर रहा था. लेकिन टमाटर को बेचने के लिए ट्रांसपोर्ट की कोई सुविधा नहीं थी और पूरी फसल खेत में सड़ गई.
एक तरफ लॉकडाउन की वजह से जहां लोगों को अपना-अपना रोजगार छोड़ गृहराज्य लौटने पर मजबूर हो गए थे, तो वहीं दूसरी तरफ वाहनों की आवाजाही पर लगे रोक की वजह से फसलों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा. फसलों को मंडी और दूसरे जगहों पर पहुँचाने के लिए किसान और अन्य व्यापारी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते आए हैं. ऐसे में लगी रोक के वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था.
आपको बता दें कि बढ़ती संक्रमण ने लोगों के बीच डर पैदा कर दिया था. जिस वजह से लोग घरों में जो था, उसी का इस्तेमाल किया करते थे. ऐसे में छोटे किसानों को ख़ास कर नुकसान उठाना पड़ा था. वहीं, बड़े और मेट्रो पॉलिटियन शहरों की बात करें, तो वहां सभी चीज़ों के भाव में मनो आग लगा था. निर्यात ना होने की वजह से कई व्यापारी मनमाने ढंग से फसलों को बेचते नजर आए.
वहीं इस साल रबी सीजन के लिए किसानों ने अपनी जमीन पर गजड़ी गेहूं की खेती करने का फैसला किया है. आपको बता दें गजड़ी किस्म को इसलिए चुना क्योंकि इसे बहुत कम देखभाल की जरूरत होती है. यहां तक कि अगर फिर से लॉकडाउन लगता भी है तो, तो उनके पास परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त उपज रहे.
ये भी पढ़ें: Agriculture News: गेहूं की DBW-303 किस्म की किसानों के बीच है सबसे ज्यादा मांग, जानिए क्यों?
वॉटरशेड ऑर्गनाइजेशन ट्रस्ट (WOTR), एक गैर-लाभकारी संस्था, ने मध्य प्रदेश में किसानों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए गजड़ी किस्मों के बीज उपलब्ध कराए. WOTR 1993 में पुणे में स्थापित किया गया था. यह संस्था गरीब परिवारों का विकास, पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली, जलवायु-लचीला कृषि, कुशल और एकीकृत जल प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन जैसे मुद्दों पर काम करती है.
गैर-लाभकारी संस्था का उद्देश्य किसानों, महिलाओं और सबसे कमजोर समुदायों के लचीलेपन का निर्माण करना है. अनूपपुर में, WOTR बसंतपुर, दूर्वा टोला, कंचनपुर, देवरी और दुबसारा गांवों में 70-80 किसानों को की मदद कर रहा है.
Share your comments