बीते सप्ताह सुमिंतर इंडिया ऑर्गेनिक्स द्वारा गुजरात में जैविक कपास उत्पादन हेतु किसानों को फसल पूर्व प्रशिक्षण दिया गया. जिसमें गुजरात के सुरेंद्रनगर के चोटिला, थान, लिमडी, मोरबी के वाकानेर, भुज के रापर, जूनागढ़ के मानवदर एवं राजकोट से जसदन क्षेत्र में के लगभग 175 किसानों ने भाग लिया. जैविक कपास उत्पादन हेतु उक्त क्षेत्रों में कंपनी जैविक कपास आदर्श प्रक्षेत्र बनाने की दिशा में अग्रसर है.
आदर्श क्षेत्र किसान की सहभागिता से उन्हीं के खेत पर बनाए जाएंगे जिसे देखकर अन्य किसान जैविक उत्पादन का सरल एवं कम खर्च का तरीका सीख सकेंगे, जिससे उनका यह भ्रम दूर होगा कि जैविक खेती में उत्पादन कम मिलता है. इसी को ध्यान में रखकर यह प्रशिक्षण किसानों को दिया गया. प्रशिक्षण में आए किसानों को आगामी फसल कार्य नियोजन तथा विभिन्न प्रकार के स्वनिर्मित आदान बनाना बताया गया.
पौधों में पोषण हेतु स्वनिर्मित आदान जैसे- राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र, भारत सरकार, गाजियाबाद द्वारा विकसित वेस्ट डी कंपोजर से कम लागत में उत्तम गोबर खाद बनाना, कंपोस्ट बनाना, घन जीवामृत, मटका खाद, संजीवक अदि बनाना बताया गया.
पौधे बहुत वृद्धि कारक जैसे- सहजन टॉनिक, सप्ताङ्कुर टॉनिक आदि बनाना बताया गया. पौध संरक्षण हेतु दसपर्णी अर्क, पाँचपत्ती अर्क, पत्तियां नीम पत्रअर्क, नीम बीज अर्क, नीम खलीअर्क बनाने पर चर्चा हुई. कीट द्वारा कपास की फसल में होने वाली क्षति को कम करने हेतु खेत के चारों ओर बॉर्डर पर क्रॉप के रुप में अरंडी, भिंडी, मक्का, ज्वार, बाजरा, तिल, मोठ, मूंग अदि लगाने को बताया गया, जिससे नुकसान करने वाले कीट इन फसलों पर आकर्षित होकर अपना पोषण करें तथा मुख्य फसल कपास को कम क्षति हो.
कीटो की उपस्थिति का पता लगाने हेतु फेरोमेन ट्रैप एवं पीला चिपचिपा ट्रैप के विषय में जानकरी दी गयी, यह ट्रैप कब और कैसे लगाएं तथा इनका प्रयोग कैसे हो इस पर विस्तार से चर्चा हुई.
किसानों को फसल पूर्व प्रसिद्ध पूर्व प्रशिक्षण सुमिंटर इंडिया ऑर्गेनिक्स के सहायक महाप्रबंधक (शोध एवं विकाश )संजय पर श्रीवास्तव ने दिया, प्रशिक्षण के दौरान प्रबंधन कंपनी के गुजरात परियोजना के प्रबंधक जितेश सेठ ने किया, विभिन्न स्थानों पर प्रशिक्षण व्यवस्था कंपनी कर्मचारी गण - गगजी भाई सुरेश भाई ,हरजी भाई, रणछोड़ भाई विपुल भाई जयदीप, आदि क्षेत्र अधिकारी ने किया. आए हुए प्रतिभागियों को वेस्ट-डी कंपोजर घोल भी वितरित किया गया जिससे किसान बहुलीकरण कर पर्याप्त मात्रा में वेस्ट-डी कंपोजर घोल बनाकर उत्तम खाद बना सकते हैं.
प्रशिक्षण के दौरान उक्त वर्णित स्वनिर्मित आदान का सजीव प्रदर्शन किया गया प्रशिक्षण के दौरान वार्ता के समय किसानों के पूछे गए प्रश्नों का उत्तर प्रशिक्षक संजय श्रीवास्तव ने बड़े ही सरल तरीके से समझाया जिससे किसान बहुत प्रसन्न हुए. श्री श्रीवास्तव ने बताया कि कंपनी के तरफ से इस तरह के प्रशिक्षण का आयोजन समय-समय पर और भी किया जाएगा जो फसल के दौरान होगा. अंत में श्री श्रीवास्तव ने आए हुए सभी प्रतिभागियों को सुमिंतर इंडिया ऑर्गेनिक्स के तरफ से धन्यवाद दिया.
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