रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (RLBCAU), झांसी में एकीकृत बागवानी मिशन, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र एवं विकास प्रतिष्ठान नई दिल्ली के सहयोग से चल रहा चार दिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम आज संपन्न हुआ. राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (NHRDF), नई दिल्ली के उपनिदेशक रजनीश मिश्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस दौरान प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. एसएस सिंह भी शामिल हुए.
कार्यक्रम में मौजूद रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने किसानों को इस प्रशिक्षण की बधाई दी और उन्होंने किसानों से कहा कि आपने जो प्रशिक्षण में सीखा है वह अन्य किसानों को भी बताएं. उन्होंने किसानों को प्याज़ की खरीफ की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया. कुलपति डॉ. सिंह ने बताया कि बुंदेलखंड में खरीफ प्याज़ की खेती के बहुत अवसर हैं. इसका किसान लाभ उठाएं. प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके किसानों को कुलपति ने किचन गार्डन सब्ज़ियों के बीज और खरीफ प्याज़ के बीज दिए. राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान नई दिल्ली की सहायता से बुंदेलखंड क्षेत्र में खरीफ प्याज़ की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. जिससे कि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके.
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान नई दिल्ली के उपनिदेशक रजनीश मिश्रा ने किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीजों, खरीफ और रबी मौसम में उगाई जाने वाली प्याज़ की खेती एवं भण्डारण की विस्तृत जानकारी दी. डॉ. एसएस सिंह ने बताया कि खरीफ प्याज़ की खेती करके किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं. एकीकृत बागवानी मिशन (एमआईडीएच) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत उत्तर भारत में प्याज़ की खेती को बढ़ावा देने के लिए यह प्रोग्राम चलाया जा रहा है. जिससे कि प्याज़ को लेकर महाराष्ट्र पर निरर्भता में कमी आए. प्रधानमंत्री का लक्ष्य है कि किसानों की आय दोगुनी हो, यह कार्यक्रम उसी दिशा में एक प्रयास है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में एमआईडीएच, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के अतंर्गत जो प्रोग्राम किसानों के लिए चल रहे हैं उनकी विस्तार से जानकारी दी गई. अधिष्ठाता, उद्यानिकी एवं वानिकी, डॉ. एमजे डोबरियाल ने बताया कि, खरीफ प्याज़ की खेती करने के लिए बुंदेलखण्ड में बहुत संभावनाएं हैं. जो भी किसान खरीफ में प्याज की खेती करते हैं. यदि उनमें कोई समास्या आती है, तो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक उनके सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहेंगे. धन्यवाद ज्ञापन प्रशिक्षण सहयोजक डॉ. अर्जुन लाल ओला ने दिया और उन्होंने उम्मीद जताई कि किसान प्रशिक्षण का लाभ लेकर खरीफ प्याज़ की खेती करेंगे.
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इस अवसर पर डॉ. देवेश तिवारी, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ. प्रियंका शर्मा, डॉ. गोविन्द विश्वकर्मा, जितेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे.
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