किसान आंदोलन तकरीबन एक साल से अपनी मांग के लिए अड़ा हुआ है. ऐसे में 26 नवंबर को मोदी सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ फार्म यूनियनों ने रैली (Farmer Unions Rally) करने का फैसला लिया है.
बता दें कि यह राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर बड़ी संख्या में अभिसरण करके और 29 नवंबर से शुरू होने वाले आगामी शीतकालीन सत्र की पूरी अवधि के लिए संसद के पास प्रदर्शनों के खिलाफ अपने आंदोलन के 1 वर्ष को चिह्नित करने जा रहे हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukta Kisan Morcha), कृषि संघों के एक छत्र संगठन, ने कहा कि उसने 26 नवंबर से देश भर में विरोध प्रदर्शन तेज करने का फैसला किया है, जो एक "ऐतिहासिक" अवसर है और साथ ही 28 नवंबर को वो मुंबई के आजाद मैदान में एक रैली का आयोजन करेंगे.
वर्षगांठ पर लगाया विशाल पंडाल (Huge pandal set up on anniversary)
भारतीय किसान यूनियन एकता (Bharatiya Kisan Union Ekta) उगराहा की ओर से 26 नवंबर को पकौड़ चौक पर बड़ी महापंचायत होगी.
यहां पर 80 हजार से एक लाख लोगों के आने की संभावना है और यहां किसानों के जत्थे पहुंचना शुरू भी हो गए हैं साथ ही अन्य प्रबंधों के अलावा स्टेज भी तैयार हो चुका है. बता दें कि यहां पर आठ एकड़ में पंडाल सजाया जा रहा है.
इन बॉर्डर्स पर होगा आंदोलन (There will be movement on these borders)
मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के फार्म यूनियनों ने दिल्ली की सीमाओं के पास पांच स्थलों पर विरोध प्रदर्शन किया है. जिसमें सिंघू, गाजीपुर, टिकरी, ढांसा और शाहजहांपुर शामिल है.
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एक किसान नेता ने कहा कि 26 नवंबर को उत्तरी राज्यों के किसान इन स्थलों पर पहुंचेंगे और इस दिन संविधान दिवस भी है, जब संविधान सभा द्वारा 1949 में भारत के संविधान को अपनाया गया था. 26 नवंबर को पिछले साल मजदूर वर्ग द्वारा अखिल भारतीय हड़ताल का एक वर्ष भी है.
शांतिपूर्वक होगी रैली (rally will be held peacefully)
एसकेएम ने फैसला किया है कि 29 नवंबर से इस संसद सत्र के अंत तक, 500 चयनित किसान स्वयंसेवक हर दिन शांतिपूर्वक और पूरे अनुशासन के साथ, राष्ट्रीय राजधानी में विरोध करने के अपने अधिकारों का दावा करने के लिए ट्रैक्टर ट्रॉलियों में संसद जाएंगे.
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