आज पंजाब के बठिंडा में किसानों ने उग्र प्रदर्शन किया है. ये प्रदर्शन भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहा ने धान की पराली जलाने वाले किसानों पर पर्चे और जुर्माना लगाने को लेकर किया है. इस दौरान किसानों ने मिनी सचिवालय के सामने महिला थाने के बाहर धरना-प्रदर्शन भी किया. साथ ही गुस्साए किसानों ने महिला थाने के के गेट पर स्पीकर भी टांग दिया. तो वहीं डीएसपी का जमकर विरोध किया. बता दें कि किसानों के कड़े विरोध के आगे प्रशासन बहुत बेबस नजर आया. जब पुलिस कर्मचारियों ने महिला थाने के गेट से स्पीकर हटवाया, तो किसानों ने सामने पेड़ पर टांग दिया, लेकिन किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी रहा और नारेबाजी करते हुए पर्चे और जुर्माना रद करो के नारे लगाए.
दरअसल भाकियू एकता उग्राहा और भाकियू एकता डकौंदा के सांझा आह्वान पर ब्लॉक नथाना, ब्लॉक संगत व ब्लॉक बठिंडा से सैकड़ों किसान मिनी सचिवालय के बाहर इकट्ठा हुए. यहां से मार्च निकालकर महिला थाने के सामने धरना दिया. इस प्रदर्शन को लेकर किसानों का कहना है कि प्रदूषण के लिए अकेले किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि 92 प्रतिशत प्रदूषण कारखाने, ईट भट्ठे, ट्रांसपोर्ट से बढ़ रहा है, जबकि किसानों के पराली जलाने से सिर्फ 8 प्रतिशत प्रदूषण ही होता है.
किसान नेताओं की मांग है कि किसानों पर दर्ज पर्चे और जुर्माने को रद्द किए जाए. साथ ही माल रिकार्ड में की गई एंट्री को खत्म किया जाए. उन्होंने कहा कि ग्रीन ट्रिब्यूनल का फैसला है कि 2 एकड़ वाले किसानों को खेती मशीनरी मुफ्त मुहैया करवाई जाए, जबकि 5 एकड़ तक वाले किसानों को 5 हजार और 5 एकड़ से ज्यादा वाले किसानों को 15 हजार रुपए तक मशीनरी पर सब्सिडी मुहैया करवाई जाए, लेकिन सरकार ने ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले को लागू न करके किसानों पर ही केस दर्ज कर दिए है. तो वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, किसानों को 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस भी नहीं दिया गया. जिसकी वजह से किसान पहले से ही नाराज है. अब धान की पराली जलाने वाले किसानों पर पर्च और जुर्माना न लगाया जाए. किसानों का कहना है कि सरकार को उनकी मांगे पूरी करनी होंगी.
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