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जानिए छत्तीसगढ़ की पैड-वूमेन के बारें में, जिसने धान की पराली से बनाया सेनेटरी नैपकिन

दिल्ली-एनसीआर के लोगों को प्रदूषण से राहत मिलने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. इस प्रदूषण ने बच्चों से लेकर बुजुर्गों को डॉक्टर के दरवाजे पर दस्तक देने के लिए मजबूर कर दिया है. इसी बीच छत्तीसगढ़ के धमतरी की एक महिला वैज्ञानिक मिसाल बनकर उभरी हैं, जिन्होंने एक अनोखा प्रयोग किया है. दरअसल, महिला वैज्ञानिक ने धान की पराली से सेनेटरी नैपकिन बनाया है. जी हां, जिस धान की पराली को खेतों में ही छोड़ दिया जाता है या फिर जला दिया जाता है, इस महिला ने उसी पराली से सेनिटरी नेपकिन बनाया है. शायद किसी ने ये कल्पना भी नहीं की होगी, कि वेस्ट पराली को बेस्ट बनाया जा सकता है.

KJ Staff

जानिए महिला वैज्ञानिक के बारें में

इस नई तकनीक को खोजने वाली महिला का नाम सुमिता पंजवानी है, जोकि छत्तीसगढ़ के धमतरी में रहती है. वो सुमिता पंजवानी आर्ट लिविंग से जुड़ी हुई है. वह समाजसेवी और न्यूट्रिशियन महिला हैं. साथ ही वह पिछले 10 सालों से पवित्रा वर्कशॉप कार्यक्रम का आयोजन करती रही हैं, जिसमें वह ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता को लेकर लोगों को जागरूक करती हैं. गौरतलब है कि इस दौरान उन्हें महसूस हुआ, कि महिलाएं माहवारी के दौरान हाइजीन का ध्यान नहीं देती हैं. साथ ही, गांव की महिलाएं स्वच्छता को लेकर जागरूक भी नहीं हैं. वह पीरियड्स के दौरान ऐसे तरीके अपनाती हैं, जोकि उनके लिए अस्वच्छ हैं. इसी वजह से उन्हें गंभीर समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है.

3 साल की मेहनत से बना 'पैड'

आपको बता दें कि सुमिता पंजवानी को इस रिसर्च में करीब 3 साल का वक्त लगा है. उन्होंने अपनी रिसर्च में पाया कि जिस पराली को किसान खेतों में जला देते है, उसमें सेलूलोज की मात्रा होती है, जोकि पैड बनाने के काम आता है. यह पूरी तरह हाइजीनिक होता है. इसके बाद उन्होंने इसे फिजिकल और केमिकल प्रक्रियाओं से गुजार कर एक कंफर्टेबल नैपकिन तैयार किया है. सुमिता पंजवानी का मानना है कि ये उत्पाद सिर्फ बिजनेस के लिए नहीं है, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है. इसके अलावा किसानों को भी फायदा होगा.

बता दें कि इस प्रयोग को करने के दौरान कई लोगों ने उन्हें टोका, लेकिन वो कभी हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने अपने इरादों को मजबूत किया और इस काम में अनवरत लगी रहीं. जिसकी सफलता आखिरकार उन्हें मिल ही गई.

सैनेटरी नैपकिन से पर्यावरण भी सुरक्षित

सुमिता पंजवानी ने वेस्ट पराली से सैनेटरी नैपकिन बनाकर ऐसी तकनीक को पैदा किया है जिससे हमारा पर्यावरण भी दूषित नहीं होगा. इससे आने वाले दिनों में बायोडिग्रेडेबल नैपकिन भी बनाया जा सकता है. सुमिता पंजवानी कहती है कि आजकल जो सैनेटरी नैपकिन का प्रयोग किया जाता है, उसमें प्लास्टिक और सिथेंटिक का इस्तेमाल होता है जो पूरी तरह से नष्ट नहीं होते है, लेकिन इससे बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए आसानी से नष्ट किया जा सकता है.

सरकार के स्टार्टअप योजना के तहत किया काम

सुमिता पंजवानी का कहना है कि इस तकनीक को मूर्त रूप दिया जाएगा. वह इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की मदद से और केंद्र सरकार के स्टार्टअप योजना के तहत एग्री बिजनेस आईडिया पर काम कर रही है. उन्हें जल्द आर्थिक सहायता मिलने की उम्मीद है. जिसके बाद इसका सेटअप तैयार किया जाएगा.

इस अनोखे प्रयोग से सुमिता ने न सिर्फ स्टार्टअप किया है, बल्कि ग्रामीण इलाकों के लोगों को आने वाले दिनों में रोजगार के अवसर भी दिए है. आप सभी ने बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन'  देखी होगी. इस फिल्म ने न सिर्फ सफलता के रिकॉर्ड बनाए, बल्कि समाज को भी एक मैसेज दिया. कुछ ऐसे ही प्रयास में सुमिता पंजवानी जुटी हुईं हैं. वह महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कड़ी मेहनत कर रहीं हैं, जोकि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएगा. सुमिता पंजवानी एक मिसाल बन चुकी है और समाज को ऐसे लोगों की जरुरत भी है.  

English Summary: Know about Pad-women of Chhattisgarh, she made sanitary napkins from paddy straw Published on: 25 November 2019, 07:02 PM IST

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