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कश्मीर में केसर की बहार, किसानों की बढ़ेगी आमदनी

कश्मीर घाटी को इनदिनों कुदरत ने खूबसूरती से सजा कर रखा है. घाटी फलों और फूलों से भी सराबोर है. इन्हीं फूलों में से एक फूल का नाम केसर है. जिसे अंग्रेज़ी में सैफरन, उर्दू में ज़ाफरान और कश्मीरी में कोंग कहा जाता है. यह कोई मामूली फूल नहीं है, बल्कि इसकी बाज़ार में कीमत लाखों में है. दरअसल इसकी अंदरूनी पंखुड़ियां बाजार में केसर के नाम से बेची जाती हैं. दुनियाभर में इसे सबसे महंगे मसालों में शामिल किया जाता है.

KJ Staff

कश्मीर घाटी को इनदिनों कुदरत ने खूबसूरती से सजा कर रखा है. घाटी फलों और फूलों से भी सराबोर है. इन्हीं फूलों में से एक फूल का नाम केसर है. जिसे अंग्रेज़ी में सैफरन, उर्दू में ज़ाफरान और कश्मीरी में कोंग कहा जाता है. यह कोई मामूली फूल नहीं है, बल्कि इसकी बाज़ार में कीमत लाखों में है. दरअसल इसकी अंदरूनी पंखुड़ियां बाजार में केसर के नाम से बेची जाती हैं. दुनियाभर में इसे सबसे महंगे मसालों में शामिल किया जाता है. केसर इस वक्त कश्मीर घाटी में सेब के बाद अब केसर की बहार आ चुकी है. राज्य के चार जिलों में इसकी बड़ी संख्या में खेती होती है. केसर दुनिया में पाया जाने वाला सबसे महंगा पौधा है. इसलिए केसर को लाल सोना भी कहा जाता है. इसकी खेती करना बहुत ही सरल और आसान है. इसकी फसल अवधि भी 3– 4 महीने का होता है. बता दें कि केसर की कीमत भी दिन–बदिन बढ़ते जा रही है. इसकी खेती करके किसान भाई अच्छा लाभ कमा सकते है.

केसर में फूल अक्टूबर से नवंबर के बीच आता है

केसर का हल्का बैंगनी रंग का फूल अक्टूबर के मध्य में आना शुरू होता है, जोकि नवंबर के पहले हफ्ते तक बना रहता है. इसकी खेती घाटी के पुलवामा, बड़गाम, श्रीनगर और किश्तवाड़ जिलों में सबसे ज्यादा होती है. तो वहीं इसकी सबसे ज्यादा मांग दवाई, कॉस्मेटिक और खुश्बू बनाने वालों के बीच रहती है.

केसर में कड़ाके की ठंड में फूल बीनते हैं

केसर का फूल कड़ाके की ठंड में बीनना पड़ता है. जब केसर का फूल बीनना होता है तो किसान का पूरा परिवार एक साथ खेत में सुबह-सुबह पहुंच जाता हैं. इसमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी शामिल होते हैं. सबसे पहले जमीन पर पड़े नारंगी रंग के फूलों को चुनकर एक बॉस्केट में रखा जाता है. इसके बाद फूल के पत्तों को आसानी से खोलकर के उनमें से केसर को निकाल कर प्लेट में रखा जाता हैं.

केसर की एक हेक्टयर में इतनी पैदावार

घाटी में एक हेक्टयर जमीन पर अमूमन 2.4 से पांच किलो केसर की पैदावार होती है. बताया जाता है कि इस पर आठ से नौ किलो की भी पैदावार की जा सकती है. अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात करें, तो यहां पर 1 किलो केसर की कीमत तकरीबन 5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है. तो वहीं भारत में यह तकरीबन 3 लाख रुपये प्रति किलो तक बिकती है.

केसर किसानों के लिए आय का प्रमुख स्त्रोत

कश्मीर में सेब के बाद किसानों के लिए केसर का उत्पादन आय का प्रमुख स्त्रोत माना जाता है. हालांकि इस बार किसानों के लिए सेब की खेती में उतना लाभ नहीं हो पाया. इसी वजह से किसानों को केसर से आय होने की ज्यादा उम्मीद है. केसर खाने से मनुष्य के शरीर को कई फायदे होते है. इसका उपयोग त्वचा की चमक बढाने के लिए भी किया जाता है. तो वहीं गर्भवती महिलाओं के लिए केसर वाला दूध काफी लाभदायक होता है.

English Summary: saffron cultivation in Kashmir, farmers income will increase Published on: 26 November 2019, 01:57 PM IST

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