किसान खरीफ फसलों की कटाई में जुटने वाले हैं, लेकिन इस दौरान एक आम समस्या है, जो हर साल राजधानी दिल्ली से सटे कई राज्यों के लोगों को परेशान कर देती है. यह समस्या है किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली.
जी हां, जब किसान अपने खेतों में फसल अवशेष को जला देते हैं, तो इससे कई राज्यों में प्रदूषण की समस्या होने लगती है.
मगर केंद्र व राज्य सरकार किसानों को कृषि कार्यों एवं फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आसानी से कम दरों पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराती रहती है. इस कार्यों को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा फार्म मशीनरी बैंक एवं कस्टम हायरिंग केंद्र (Farm Machinery Bank & Custom Hiring Center) की स्थापना के लिए योजना भी चलाई जा रही है.
सब्सिडी पर फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना
उत्तर प्रदेश में सब्सिडी पर फार्म मशीनरी बैंक (Farm Machinery Bank) की स्थापना की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को दे दी घई है. बता दें कि पहले यह जिम्मेदारी कृषक सहकारी समितियों, गन्ना समितियों एवं उद्यानिक समितियों को लक्ष्य जारी किए गए थे, लेकिन ये समितियां अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असमर्थ रही, इसलिए यह लक्ष्य अब ग्राम पंचायतों को दिया गया है.
5 लाख रुपए तक के फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना
उत्तर प्रदेश सरकार ने समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जिलों में कृषक सहकारी, गन्ना समितियों एवं उद्यानिक समितियों द्वारा 5 लाख तक के फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना करनी है.
जानकारी के लिए बता दें कि माननीय उच्चत्तम न्यायालय तथा माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों के क्रम में कृषक सहकारी समितियों, गन्ना समितियों, औद्यानिक समितियों एवं पंचायतों को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए फसल प्रबंधन के यंत्र उपलब्ध कराने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं.
इस आदेश के अनुसार 5 लाख रुपए तक के फार्म मशीनरी बैंक (Farm Machinery Bank) की स्थापना की जाएगी. किसानों के लिए फॉर्म मशीनरी बैंक बनाया गया है. आजकल खेती बिना मशीनों के कर पाना असंभव है. लेकिन प्रत्येक किसान खेती-बाड़ी में प्रयुक्त होने वाली मशीनों को नहीं खरीद सकता है.
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