इन दिनों देश में फर्टिलाइजर की कमी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश समेत राजस्थान में फर्टिलाइजर की कमी को लेकर किसान कई जगहों पर प्रदर्शन भी कर रहें हैं. गौरतलब है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में यूरिया की आपूर्ति उन राज्यों की मांग के मुकाबले अधिक है. फिर भी इन राज्यों में यूरिया की किल्लत का शोर मच रहा है. उर्वरक मंत्रालय की ऑनलाइन निगरानी प्रणाली में पाया गया कि इन दोनों राज्यों के गोदामों में यूरिया खाद का भारी स्टॉक पड़ा हुआ है. इन राज्यों की ओर से जितनी यूरिया की मांग पहले की गई थी, उससे कहीं ज्यादा यूरिया की आपूर्ति की जा चुकी है. फिर भी वहां यूरिया की किल्लत का शोर मच रहा है.
बता दें कि चालू सत्र से उर्वरक की खरीदी महंगी ही नहीं बेहद महंगी पड़ेगी. दरअसल रबी फसल की तैयारी कर रहे किसानों को उर्वरक निर्माता कंपनियों ने जोरदार झटका देते हुए उर्वरक की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि कर दी है. नई कीमत तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है. सबसे ज्यादा तेजी डीएपी में आई है. यह एक साथ प्रति बोरी 425 रुपए महंगी दर पर मिलेगी. खेती में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली खादों में शामिल यूरिया की बोरी भी 6 रुपए महंगी कर दी गई है. गौरतलब है कि उर्वरक की सभी किस्मों की नई दर तत्काल प्रभाव से लागू होने के बाद उर्वरक की बिक्री में गिरावट के आसार बन रहे हैं, लेकिन यह गिरावट ज्यादा दिन तक नहीं बनी रहेगी क्योंकि रबी सत्र की समाप्ति के बाद खरीफ सत्र की तैयारी शुरू हो जाएगी.
डीएपी में सबसे ज्यादा तेजी
24 दिसंबर से लागू नई दर किसानों के होश उड़ाने वाली रही. रासायनिक खाद की हर किस्म में आई तेजी के बाद किसानों को सबसे ज्यादा झटका डीएपी ने दिया है. इसमें एक साथ 425 रुपए की तेजी आ चुकी है. पोटाश दूसरे नंबर पर है. हालांकि, यूरिया की कीमतों में मामूली वृद्धि के बाद इसकी मात्रा नियंत्रित करते हुए 50 किलो की बोरी के जगह 45 किलो की बोरी लाई गई है.
कीमतें बढऩे से खेती की लागत बढ़ेगी
इसके पहले डीजल की कीमतें बढ़ाने के बाद खेतों की जुताई में पहले से ही काफी वृद्धि हो चुकी है. फसल को खेत से खलिहान तक लाने का भी चार्ज बढ़ाया जा चुका हैं. मिसाई की भी दर प्रति घंटा बढ़ाई जा चुकी है. अब उर्वरक की कीमतें बढऩे के बाद खेती की लागत और बढ़ेगी.
विवेक राय, कृषि जागरण
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