भारत में कई प्रकार की लकड़ी पाई जाती है, जिसका इस्तेमाल घर बनाने से लेकर फर्नीचर बनाने तक में होता है. मदर क्या आपने कभी सुना या देखा है कि लकड़ी से बिजली भी बनाई जा सकती है.
जी हां, यह बात बिल्कुल सच है कि अब लकड़ी की फर्श से बिजली बनाई जा सकेगी. इससे भी खास बात यह है कि इस फर्श पर लोगों की चहलकदमी से बिजली पैदा होगी.
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने वुडन नैनोजेनरेटर तैयार किया है. इस पर पैर पड़ते ही बिजली पैदा हो सकेगी. इससे एलईडी लाइट बल्ब भी जलाए जा सकते हैं. यह रिसर्च स्विटजरलैंड की ईटीएच जूरिख, चीन की चॉन्गकिंग यूनिवर्सिटी और नॉर्थवेस्टर्न की इलिनॉयस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर की है.
ऐसे बनती है लकड़ी की फर्श से बिजली
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जर्नल मैटर में पब्लिश रिसर्च में बताया गया है कि किस तरह लकड़ी की फर्श से बिजली बनती है.
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बिजली तैयार करने का काम नैनोजेनरेटर करता है.
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इस नैनोजेनरेटर को तैयार करने में लकड़ी के 2 टुकड़ों का इस्तेमाल किया गया है.
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लकड़ी के एक तरफ पॉलीडीमेथाइलसिलोक्सेन (PDMS) और दूसरी तरफ जियोलिटिक इमिडेजोलेट फ्रेमवर्क-8 (ZIF-8) की लेयर चढ़ाई गई है.
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ये दोनों केमिकल बिजली जनरेट करने के दौरान इलेक्ट्रॉन के आकर्षित करने और छोड़ने के लिए जिम्मेदार हैं.
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लकड़ी का एक हिस्सा पॉजिटिव और एक निगेटिव चार्ज की तरह काम करता है.
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लकड़ी के दोनों टुकड़ों को 2 इलेक्ट्रोड के बीच में रखा गया है.
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जब इस लकड़ी पर इंसान चलता है, तो इन्हें एनर्जी मिलती है और ये चार्ज हो जाते हैं, जिससे बिजली पैदा होती है.
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इस बिजली का इस्तेमाल एलईडी बल्ब जलाने में होता है.
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इसे विज्ञान की भाषा में ट्राइबोइलेक्ट्रिक इफेक्ट कहा जाता है.
प्रोटोटाइप तैयार किया गया
शोधकर्ताओं की मानें, तो नैनोजेनरेटर एक प्रोटोटाइप है. इसे भविष्य में कमरों में लगाया जा सकता है, साथ ही चल-फिरते बिजली पैदा की जा सकती है. हालांकि, शोधकर्ताओं ने साफ नहीं किया है कि इस तरह बिजली पैदा करने में कितना खर्च आएगा.
क्यों किया वैज्ञानिकों ने लकड़ी का चुनाव
शोधकर्ताओं का मानना है कि बेहतरीन लकड़ी सस्ती और आसानी से मिल जाती है, साथ ही संबंधित मैटेरियल उपलब्ध हो जाता है. इसके अलावा, लकड़ी ट्राइबोन्यूट्रल होती है, जिसमें एक भी इलेक्ट्रॉन खोने का खतरा नहीं होता है.
ऐसे में लकड़ी न होने पर नैनोजेनरेटर को तैयार करना काफी मुश्किल है. नैनोजेनरेटर के ऊपर और नीचे एक-एक लकड़ी की एक्स्ट्रा लेयर होती है, जिस कारण सीधेतौर पर इंसान से टच नहीं होता है.
फिलहाल रिसर्च में सामने आया है कि नैनोजेनरेटर को तैयार करने के लिए स्प्रस नाम की लकड़ी काफी बेहतर है. मगर इसके लिए किस तरह की लकड़ी बेहतर है, इस पर रिसर्च की गई, तो यूरोप में सबसे ज्यादा इसी लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. वहां ये लकड़ी सस्ती और आसानी से मिल जाती है.
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