मिट्टी परीक्षण (Soil Testing) को लेकर हरियाणा सरकार ने बड़ा फैसला किया है. अब प्रदेश सरकार मिट्टी परीक्षण की जिम्मेदारी कॉलेजों तथा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को देगी. इससे स्टूडेंट अपनी पढ़ाई के साथ अच्छी कमाई भी कर पाएंगे. स्वायल टेस्टिंग के प्रत्येक सैम्पल के लिए सरकार विद्यार्थियों को 40 रुपये देगी.
ख़बरों के मुताबिक, छात्रों को अपने ही गांव का सैंपल एकत्रित करना होगा. दरअसल, सरकार का मानना हैं कि छात्रों को उनके ही गांव की जिम्मेदारी सौंपने से उनकी इस काम में दिलचस्पी बढ़ेगी. साथ ही उन्हें सीखने में भी आसानी होगी. इसके अलावा हर गांव का स्वायल फर्टिलिटी मैप भी तैयार किया जाएगा.
क्या है स्वायल हेल्थ कार्ड?
-स्वायल हेल्थ कार्ड (Soil Health Card) किसानों के लिए बेहद लाभदायक हैं. इस कार्ड में मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की जानकारी होती है.
-वहीं मिट्टी में पाए जाने वाले नाइट्रोजन, फास्फोरस, जिंक और ऑर्गनिक कार्बन जैसे तत्वों की मात्रा का पता स्वायल फर्टिलिटी के जरिये पता चलता है.
-इससे आपके खेत की मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी उसका पता आसानी से लगाया जा सकता है. ऐसे में जब फसल की बुवाई की जाती है तब आवश्यक पोषक तत्व देने में आसानी होती है.
स्वायल टेस्टिंग लैब से लाखों कमाएं
वहीं जो युवा गांव में ही अपना खुद का बिजनेस करना चाहते हैं उनके लिए स्वायल टेस्टिंग लैब निर्माण अच्छा बिजनेस है. दरअसल, यह केंद्र सरकार की योजना है, जिसके लिए 75 फीसदी अनुदान मिलता है. स्वायल टेस्टिंग लैब के लिए लगभग 5 लाख रुपए का खर्च आता है. इसके लिए 75 प्रतिशत यानी तकरीबन 3 लाख 75 हजार रुपये सरकार देगी. यह राशि केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से मिलेगी.
लैब के लिए जरुरी मशीनें
स्वायल टेस्टिंग लैब स्थापित करने के लिए जांच मशीन, रसायन और प्रयोगशाला की जरुरत पड़ती है. इसमें लगभग 2.5 लाख रुपये का खर्च आता है. इसके अलावा कंप्यूटर, स्कैनर, प्रिंटर और जीपीएस सिस्टम की जरुरत होती है जिसमें एक लाख रुपये खर्च होते हैं. लैब स्थापित करने के बाद मिट्टी का नमूना लेने, परीक्षण करने और मिट्टी हेल्थ कार्ड बनाने का काम किया जाता है. जिसके लिए 300 रुपये देना होंगे. जो युवा, किसान या अन्य संगठन मिट्टी परीक्षण लैब स्थापित करना चाहते हैं वे अपने जिले के कृषि उपनिदेशक से संपर्क कर सकते हैं. दरअसल, केंद्र सरकार चाहती हैं कि किसानों को मिट्टी परीक्षण के लिए कहीं दूर न जाना पड़े और गांव के युवाओं को भी रोजगार मिल सकें. इसके लिए आवेदनकर्ता की उम्र 18 से 40 साल होना चाहिए.
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