कैलाश चौधरी, राज्य मंत्री, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे. उन्होंने संस्थान के प्रायोगिक प्रक्षेत्र पर संरक्षण खेती आधारित मॉडल, भूजल रिचार्ज संरचना, बहुउद्देशीय कृषि मॉडल, संरक्षित खेती, विभिन्न फसल प्रजातियों और प्रायोगिक लाइसीमीटर आदि तकनीकियों का दौरा किया.
चौधरी ने कार्यक्रम में शिरकत कर रहे किसानों, वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए देश की खाद्यान्न सुरक्षा में किसानों एवं वैज्ञानिकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को लाभप्रद बनाने के लिए शोधकर्ताओं, सरकारी संस्थाओं एवं कृषि उद्योगों आदि को किसानों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर कार्य करना होगा. कृषक उत्पादन संगठन का जिक्र करते हुए मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कृषि आय बढ़ाने के लिये किसानों को अपने उत्पादों का व्यापार स्वयं करना होगा. कृषि योजनाओं के लिए किसानों को जागरूक करने पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कम संसाधनों में अधिक-से-अधिक उत्पादन लेने के लिए किसानों से बहुउद्देशीय खेती को अपनाने का आग्रह किया.
कार्यक्रम के उपरांत श्री चौधरी ने ग्राम नड़ाना में एक किसान सभा को संबोधित करते हुए हरियाणा एवं पंजाब में धान की पराली जलाने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की. इस किसान सभा में ग्राम नड़ाना के आस-पास के 400 एवं पंजाब के लगभग 100 किसानों ने भाग लिया. किसान सभा में अशोक गहलावत, अतिरिक्त कृषि निदेशक, हरियाणा सरकार; डा. राजबीर सिंह, निदेशक, कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग संस्थान, लुधियाना; डा. आदित्य डबास, उपनिदेशक, कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग संस्थान, लुधियाना और डा. एम. एल. जाट, सीमिट आदि उपस्थित थे.
डा. प्रबोध चन्द्र शर्मा, निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल ने तथ्यों एवं आँकड़ों के हवाले से संस्थान द्वारा लवणग्रस्त मृदाओं के प्रबंधन के लिए विकसित की गई तकनीकियों एवं लवण सहनशील प्रजातियों के बारे में अवगत कराया.
इस कार्यक्रम में आस-पास के गाँवों के लगभग 100 किसान एवं करनाल स्थित भाकृअनुप के संस्थानों के निदेशक एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे.
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