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अब कृषि में सुधार के लिए मिलकर काम करेंगी केंद्र और राज्य सरकारें

कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार नीतिगत सुधारों पर गंभीरता से विचार कर रही है। गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर अमल के लिए राज्यों के साथ मिलकर केंद्र नई रणनीति बनाएगा। कृषि क्षेत्र की कठिनाइयों को दूर करने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि मंत्रालय लगातार प्रयास कर रहा है। इसमें नीतिगत खामियों को दूर करने के लिए राज्यों का सहयोग लिया जा रहा है।

कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार नीतिगत सुधारों पर गंभीरता से विचार कर रही है। गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर अमल के लिए राज्यों के साथ मिलकर केंद्र नई रणनीति बनाएगा। कृषि क्षेत्र की कठिनाइयों को दूर करने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि मंत्रालय लगातार प्रयास कर रहा है। इसमें नीतिगत खामियों को दूर करने के लिए राज्यों का सहयोग लिया जा रहा है।

खेत से रसोई तक खाद्यान्न को पहुंचाने की लंबी श्रृंखला की हर कमजोर कड़ी को मजबूत बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसकी राह की बाधाओं को दूर करने के लिए नीतियों में संशोधन की जरूरत है। इन्हें लंबी चर्चा के बाद चिन्हित कर लिया गया है। फर्टिलाइजर कंट्रोल एक्ट, सीड कंट्रोल एक्ट और पेस्टीसाइड कंट्रोल एक्ट में तत्काल सुधार की जरूरत है। इस दिशा में पहल शुरू कर दी गई है।

इसी तरह कृषि उत्पाद विपणन अधिनियम (मंडी एक्ट), भूमि पट्टेदारी अधिनियम और कांट्रैक्ट खेती में सुधार के लिए केंद्र मॉडल एक्ट बनाकर कई बार राज्यों के पास भेज चुका है। लेकिन ज्यादातर राज्यों में इसे लागू नहीं किया जा रहा है। लेकिन राजनीतिक तौर पर डेढ़ दर्जन से अधिक राज्यों में भाजपा अथवा उसकी सहयोगी पार्टियों की सरकारें हैं, जहां इन कानूनों में सुधार आसानी से कराया जा सकता है। कृषि मंत्रालय ने इसका लाभ लेते हुए नीतिगत सुधार की योजना तैयार की है। सहकारी संघों की तर्ज पर किसान संगठनों को आयकर से मुक्त रखना और इसी तरह की सहूलियतें देने के प्रयास किये जा रहे हैं। कृषि वानिकी से तैयार लकड़ी कानूनी रूप से ‘कृषि उत्पाद’ माना जाए। जड़ी-बूटी, सौंदर्य प्रसाधन के उत्पाद और शहद आदि को भी कृषि उत्पाद की श्रेणी में रखने की सिफारिश की गई है। कटाई व ढुलाई के राज्यवार कानून में संशोधन की सख्त जरूरत बताई गई।

संविधान में कृषि क्षेत्र राज्यों के अधिकार क्षेत्र में है। राज्य का विषय होने के नाते केंद्र का हस्तक्षेप बहुत सीमित हो जाता है। इसके चलते केंद्र की कोशिशों के बावजूद नतीजे ‘वही ढाक के तीन पात’ वाले रहते हैं। कृषि क्षेत्र में केंद्र की कारगर भूमिका के लिए उसे संवैधानिक तौर पर मजबूत होना होगा।

 

कृषि जागरण / नई दिल्ली

English Summary: Center and state governments will work together to improve farming. Published on: 25 February 2018, 02:04 AM IST

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