प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेने के लिए किसान भाइयों को फसलों के मौसम के अनुसार बीमा के प्रीमियम के भुगतान करने की आजादी है. रबी सीजन को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) में कई बदलावों को मंजूरी दी है. नये बदलाव के बाद अब बीमा दावों का जल्द भुगतान नहीं होगा तो बीमा कंपनियों के साथ-साथ राज्यों पर भी कार्रवाई होगी.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान रबी सत्र 2018-19 में फसलों का बीमा करा सकते हैं. किसान अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से फसल का बीमा 31 दिसंबर तक करवा सकते हैं.
सिंचित क्षेत्र में गेहूं के लिए 30 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर, प्रीमियम राशि 450 रुपए, असिंचित क्षेत्रों के लिए 17 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर, बीमा राशि 255 रुपए प्रति हेक्टेयर है. चना फसल पर 37 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर और बीमा राशि 555 रुपए, अलसी पर 11 हजार 2 सौ रुपए बीमा धन 168 रुपए, राई 33 हजार 340 रुपए बीमाधन 55 रुपए प्रति हेक्टेयर निर्धारित हैं.
इसके लिए पात्रता वे सभी ऋणी किसान जिनके लिए रबी फसलों की आखरी तारीख तक सहकारी समिति या वाणिज्य बैंक से फसल ऋण मंजूर किया गया हो.
गैर ऋणी किसानों के लिए ख़ुद के नाम पर भूमि रिकार्ड दस्तावेज हो या एक सक्रिय बचत बैंक खाता हो. ऐसे किसानों को लाभ लेने की पात्रता होगी. दावा आंकलन और निपटान की प्रक्रिया व्यापक स्तक पर फैली हुई आपदा के लिए दावा की गणना ग्राम पंचायत स्तर पर आयोजित कटाई के आधार पर की जाती है. प्राकृतिक आपदा के लिए दावा की गणना अलग-अलग आंकलन के आधार पर की जाती है. दावा राशि सीधे किसानों के खाते में जमा होगी.
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एक अक्टूबर से रबी सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे में सरकार ने पीएमएफबीवाई के तहत आने वाले दावों का जल्द भुगतान कराने के लिए अपने दिशा-निर्देशों को और सख्त बनाने का फैसला लिया है. नये नियम के तहत बीमा दावों का भुगतान अगर समय नहीं हुआ तो इसके लिए बीमा कंपनियों और राज्यों को दोषी माना जाएगा.
निर्धारित अंतिम तिथि से अगर दो महीने के अंदर मामले का निपटान नहीं हुआ तो बीमा कंपनियों को किसानों को 12 फीसदी ब्याज देना होगा. बीमा कंपनियों की ओर से राज्यों को अपनी मांग दी जाएगी, ऐसे में निर्धारित तारीख के तीन महीने के अंदर अगर सब्सिडी में राज्य अपना हिस्सा जारी नहीं करता तो राज्य सरकारें 12 फीसदी ब्याज देंगी.
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