दुनियाभर में कोरोना वायरस ने अपना कहर बरसाया है, लॉकडाउन की परिस्थितियों ने लोगों के जीवन को प्रभावित करने के साथ ही, खानपान से संबंधित आदतों में भी बदलाव कर दिया है. अपने घर में ही बागवानी करने की चाह रखने वाले सभी लोगों के लिए किचन गार्डन में सब्जियां उगाना एक रुचिकर कार्य हो सकता है. झारखंड के रांची में भी अधिकतर लोग किचन गार्डन बनाकर घर में ही सब्जियां उगा रहे है. लोगों की इस भावना को देखते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (Birsa Agricultural University) द्वारा एक अहम फैसला लिया गया है.
घर पर उपलब्ध होंगे मशरूम के बीज
दरअसल, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (Birsa Agricultural University) की तरफ से लोगों को घर पर मशरूम के बीज (Mushroom Seed)उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि लोग मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) कर सकें. इसके साथ ही विवि के विज्ञानी और तकनीशियन फसल को उपजाने की तकनीक की जानकारी भी देंगे. साथ ही यदि कोई व्यावसायिक स्तर पर मशरूम की खेती करना चाहे, तो उसको भी सम्पूर्ण जानकारी विश्वविद्यालय के द्वारा प्रदान की जायेगी.
कैसे मिलेंगे मशरूम के बीज
जो लोग मशरूम के बीज (Mushroom Seed) लेना चाहते हैं, वह कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधीन कार्यरत, पौधा रोग विभाग द्वारा संचालित मशरूम उत्पादन इकाई से मशरूम के बीज ले सकते हैं.
कैसे होती है मशरूम की खेती
इसकी खेती साधारण हवादार कमरा, ग्रीन हाउस, गैरेज, बंद बरामदा, पॉलीथिन के घर, छप्परों या कच्चे घरों में होती है. इसके उत्पादन के लिए अनाज जैसे- गेहूं, धान एवं मकई आदि के दानों से बने उच्च गुणों वाले प्रमाणित बीज का ही प्रयोग करना चाहिए.
सालभर होती है मशरूम की खेती
राज्य में सालभर विभिन्न उन्नत किस्मों से मशरूम का उत्पादन (Mushroom Cultivation) किया जाता है. इसकी मांग पूरे राज्य में होती है. बताया जा रहा है कि मौजूदा समय में केंद्र में समशीतोष्ण कालीन वायस्टर (ढिंगरी), प्लूरोट्स मशरूम और ग्रीष्मकालीन सफेद दूधिया मशरूम का स्पांन (बीज) उपलब्ध है. इसे निर्धारित मूल्य रुपए 30 प्रति 300 ग्राम की दर से लिया जा सकता है. बता दें कि कृत्रिम मशरूम के लिए घर में किसी भी किस्म का प्रयोग करके और किसी भी समय पर मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) कर सकते हैं.
मशरूम की खेती से जुड़ी अहम जानकारी
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झारखंड के किसानों और उत्पादकों के लिए बता दें कि मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) सामान्य कमरे के तापक्रम पर, ढिंगरी (प्लूरोट्स) की खेती 9 से 10 माह में की जा सकती है.
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वायस्टर (ढिंगरी) या प्लूरोट्स मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) के लिए जुलाई से फरवरी का महीना उत्तम रहता है. इसके लिए 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम उत्तम है. अगर इसकी खेती करते हैं, तो सामग्रियों में धान के पुआल की कुट्टी (आकार 1-1.5 इंच) या गेहूं का भूसा, स्पांन (बीज), पॉलीथिन की थैली (आकार 60 X 40 से. मी.), फफूंदनाशी और फार्मलिन की जरूरत पड़ती है.
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सफेद दूधिया मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) अप्रैल से सितंबर महीने तक कर सकते हैं. इसे धान के पुआल की कुट्टी पर उगाया जाता है, जिसकी खेती में 18 से 20 दिन तक का समय लगता है, तो वहीं 25 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उचित रहता है. इसके अलावा 80 से 85 प्रतिशत नमी बनाए रखनी पड़ती है. इसकी उपज 25 से 30 दिनों में प्राप्त हो जाती है.
अगर उचित तरीके से मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) करें, तो इससे अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. आप इसे अपने घर में भी इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर बाजार में बेच सकते हैं. तो महिलायें,युवा और हर कोई जो मशरूम की खेती करके खुद प्रयोग करना चाहते है या बाज़ार में बेचकर आर्थिक मुनाफा कमाना चाहते है ,ज़रूर कीजिये मशरूम की खेती. कृषि से संबंधित जानकारियों के लिए पढ़ते रहिये कृषिं जागरण के लेख और ख़बरें .
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