1. Home
  2. सम्पादकीय

कोरोना और लॉकडाउन ने बदल दिया खेतीबाड़ी का तरीका

देश के हर अन्नदाता का सपना है कि उसे कृषि क्षेत्र में एक ऐसी उन्नति प्राप्त हो, जिसमें फसलों की सही कीमत, उचित सरकारी खरीद, बिचौलियों से राहत, शहर के बड़े खरीददारों से सीधे संपर्क हो पाए. आज तक ऐसा हो पाना असंभव ही लग रहा था, लेकिन जब से देश में कोरोना और लॉकडाउन का संकट छाया है, तब से देश के अन्नदाता और किसान के लिए कई अहम फैसले किए जा रहे हैं.

कंचन मौर्य
कंचन मौर्य

देश के हर अन्नदाता का सपना है कि उसे कृषि क्षेत्र में एक ऐसी उन्नति प्राप्त हो, जिसमें फसलों की सही कीमत, उचित सरकारी खरीद, बिचौलियों से राहत, शहर के बड़े खरीददारों से सीधे संपर्क हो पाए. आज तक ऐसा हो पाना असंभव ही लग रहा था, लेकिन जब से देश में कोरोना और लॉकडाउन का संकट छाया है, तब से देश के अन्नदाता और किसान के लिए कई अहम फैसले किए जा रहे हैं. जहां देश की जनता को घरों में कैद कर दिया गया, तो वहीं दूसरी तरफ कृषि संबंधी कार्यों को करने की छूट दी गई. इस संकट की घड़ी में किसानों को आर्थिक तंगी न झेलनी पड़े, इसके लिए तमाम प्रयास लगातार किए जा रहे हैं. कुल मिलाकर माना जाए, तो कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कृषि क्षेत्र में काफी सकारात्मक बदलाव आता दिख रहा है. शायद इसी वक्त का इंतजार काफी लंबे समय से किया जा रहा था. इस स्थिति की वजह से ही किसान सीधे शहर के बड़े खरीदारों से संपर्क कर रहा है. इसके साथ खेती का तरीका भी बदल रहा है. आइए आज हम आपको बताते हैं कि देश की इस स्थिति में कृषि क्षेत्र में कितना सकारात्मक असर पड़ रहा है.

पहले किसानों को अपनी उपज मंडियों में बेचने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. कोरोना संकट की वजह से मंडियों में छाई अनिश्चितता ने खेतों से सीधे शहर में बिक्री की चेन को मजबूत कर दिया है. इसमें केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की मदद कर रही हैं. किसानों अपनी उपज मड़ी तक आसानी से ले जाए, इसके लिए पंजीकरण, मोबाइल ऐप, हेल्पलाइन नंबरों समेत कई अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं.  

इस साल किसानों की उपज सीधे शहर के बड़े खरीदार खरीद रहे हैं, जिससे बिचौलियों का पत्ता कट हो गया है. अक्सर किसान की उपज की ब्रिकी के दौरान बिचौलिया अधिक लाभ कमाते थे. इसके अलावा कोरोना संकट में मजदूरों की कमी आई है, जिससे पंजाब और हरियाणा में धान रोपाई के प्रचलित तरीके पर गंभीर रूप से लगाम लग सकती है. बता दें कि यहां रोपाई के परंपरागत तरीके से ज्यादा की जाती है. इससे पैदावार बढ़ती है, लेकिन पानी की अधिक खपत ज्यादा लगती है, जो कि भूजल स्तर पर असर डालता है. इसमें मजदूर की भी ज्यादा आवश्यकता पड़ती है.

फसलों की रोपाई में काफी मजदूरों की ज़रूरत पड़ती है, इसलिए उन्हें अधिक मजदूरी देकर लुभाया जाता है. इस कार्य में अधिक मेहनत लगती है. सूत्रों की मानें, तो गेहूं के मुकाबले धान की खेती में लगभग 12 गुना अधिक मजदूर की आवश्यकता पड़ती है.

उत्तर भारत के कई किसान इस सीजन में 'डायरेक्ट सीड राइस' तकनीक को अपनाते हैं. यह मध्य और दक्षिणी राज्यों की लोकप्रिय तकनीक है. माना जाए, तो उत्तर भारत में इस तकनीक को लेकर एक बड़ा बदलाव देखा जाएगा. बता दें कि इस तकनीक में खरपतवार नाशकों की जरूरत पड़ी है.

इस संकट की घड़ी में सरकार द्वारा किसानों को एक के बाद एक योजना का लाभ दिया गया. केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर किसानों के हित में कई योजनाओं का आगाज किया. इसमें फसल बीमा, पीएम किसान योजना समेत कई सब्सिडी वाली योजना शामिल हैं. कई राज्यों ने बीज औऱ खादों पर किसानों को सब्सिडी की सुविधा दी, तो कभी किसान रथ मोबाइल ऐप चलाकर किसानों को परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराई गई. इस घड़ी में सरकार का पूरा प्रयास है कि किसानों को खेतीबाड़ी में कोई नुकसान न हो, क्योंकि कहीं न कहीं देश की अर्थव्यवस्था खेती पर ही निर्भर रहती है.

ये खबर भी पढ़ें: इस मुश्किल घड़ी में भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाएगी खेती

English Summary: Corona and lockdown changed the way farming Published on: 24 April 2020, 06:00 IST

Like this article?

Hey! I am कंचन मौर्य. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News