तमिलनाडु के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री गगनदीप सिंह बेदी ने कोयम्बटूर स्थित गन्ना की उन्नत किस्में विकसित करने वाला गन्ना प्रजनन संस्थान का दौरा किया और यहाँ के शोध उपलब्धियों के बारे में जाना. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) का यह केंद्र गन्ना फसल पर महत्वपूर्ण रिसर्च करता है. श्री बेदी ने संस्थान के फार्म और राष्ट्रिय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत तमिलनाडु सरकार के सहयोग से संस्थान में ही स्थापित गन्ना आधारित खेती प्रणाली मॉडल (Sugarcane based farming system model) फार्म का दौरा किया. उन्होंने किसानों, कृषि छात्रों और आम जनता के लिए फार्म के मॉडल की उपयोगिता पर जोर दिया. आईएएस श्री बेदी ने कहा कि यह संस्थान गन्ने की किस्मों और उत्पादन तकनीकों को विकसित करने के लिए जाना जाता है. उन्होंने COVID-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान देश भर में स्थित 24 केंद्रों पर गन्ने पर प्रजनन, गन्ना बीज उत्पादन (sugarcane fluff) और दूसरी जगह आपूर्ति करने के लिए संस्थान के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों के सदस्यों की सराहना की. इसी दौरान गन्ना प्रजनन संस्थान के निदेशक डॉ बख्शी राम ने भी संस्थान में चल रही अनुसंधान गतिविधियों और कार्यकर्मों से अवगत कराया.
गन्ना प्रजनन संस्थान की मुख्य उपलब्धियां (Main Achievements of Sugarcane Breeding Institute)
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दुनिया में पहली व्यावसायिक रूप से सफल अंतर-विशिष्ट हाइब्रीड (inter-specific hybrid) Co 205 को विकसित किया . इस संस्थान द्वारा Co 213, Co 214, Co 281, Co 285, Co 290, Co 312, आदि जैसी किस्मों ने भारत में चीनी उद्योग (Sugar industry) को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
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इस संस्थान द्वारा विकसित की गई किस्में जैसे Co 419, Co 453, Co 740, Co 997, Co 1148, Co 62175, Co 6304 और Co 6806 देश भर में फैली कुछ बहुत ही सफल किस्में हैं. वर्ष 2000 में जारी की गई Co 86032 भारत के अधिकांश गन्ने के क्षेत्र में लगाई जा रही है. हाल ही में जारी उप-उष्णकटिबंधीय किस्में (Sub-tropical varieties) जैसे Co 0118 और Co 0238 हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी यूपी, उत्तराखंड और बिहार के किसानों के बीच बड़ी लोकप्रियता हासिल कर रही हैं. इस प्रकार संस्थान द्वारा विकसित किस्मों ने आज दुनिया में चीनी के सबसे बड़े निर्माता (Largest producer) के लिए चीनी आयातक से राष्ट्र का दर्जा ऊंचा कर दिया है. इस संस्थान में विकसित की गई किस्मों को पूरे भारत में उगाया जा रहा है और इसका उपयोग दुनिया के 26 अन्य देशों में प्रजनन स्टॉक के रूप में भी किया जा रहा है.
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इसके अलावा संस्थान ने गन्ना उत्पादन को बढ़ाने के लिए नई तकनीकों तथा कटाई के नए औज़ार और मशीनों को सफल प्रयोग किया है.
गन्ना प्रजनन संस्थान को कोयंबटूर में स्थापित करने की वजह (Reasons for setting up of Sugarcane Breeding Institute in Coimbatore)
उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक गन्ना उत्पादक राज्य है मगर उत्तर भारत में ठंड (Cold) की वजह से गन्ना प्रजनन (Sugarcane Breeding) और किस्मों को विकसित करने में बड़ी बाधा होती है इसी वजह से यह संस्थान तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित किया गया था क्यों कि यहाँ की भौगोलिक स्थिति और गर्म जलवायु (Climate) गन्ना के प्रजनन के लिए सबसे बेहतर है.
तमिलनाडु में गन्ना की उत्पादकता (प्रति क्षेत्र में उत्पादन) देश में सबसे अधिक है.
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