माननीय केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के 57वां दीक्षांत समारोह में सम्बोधन देंगे.
हाल ही में, भारत के माननीय राष्ट्रपति ने संस्थान द्वारा विकसित एडवांस्ड सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल रिसर्च एंड एजुकेशन (ACARE) बिल्डिंग, प्रयोगशाला और अत्याधुनिक उपकरण तथा संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर, म्यांमार के लोगों को समर्पित किया है. अफ़ग़ानिस्तान स्थित ‘अफगान कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कांधार (ANASTU)’ के छात्र अपने पाठ्यक्रम का आई.ए.आर.आई. में अध्ययन कर रहे हैं.
फसल सुधार
भारत की जनसंख्या 2050 तक 1.66 अरब तक पहुंचने का अनुमान है. भूमि के विखंडन और कृषि पर बदलते जलवायु के प्रतिकूल प्रभाव के मद्देनजर,बढ़ती जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में किये जाने वाले अनुसंधानो में, जैविक और अजैविक तनाव प्रतिरोधी, उच्च उपज और बेहतर अनाज और पोषण गुणवत्ता युक्त फसलों की किस्मों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. 2018-19 के दौरान संस्थान ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों के लिए “पूसा सांभा 1850” नामक धान की किस्म जारी की थी. यह एक अधिक उपज वाली, गैर-बासमती मध्यम व पतली अनाज की किस्म है जिसमें ब्लास्ट रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता होती है. उच्च मिठास और प्रचुर चारे की गुणवत्ता वाली मक्का संकर (हाइब्रिड) "पूसा सुपर स्वीट कॉर्न 1" नामक प्रजाति जारी करने का श्रेय भी इस संस्थान को दिया जाता है.
भा.कृ.अ.प.-भा.कृ.अ.स., क्षेत्रीय स्टेशन, इंदौर द्वारा विकसित दो नए गेहूं जीनोटाइप्स (HI 1612 और HD 8777) को CVRC के बीजीए की गजट संख्या S.O 1379 (ई) द्वारा अधिसूचित किया गया है.
HI 1620, जो कि भा.कृ.अ.प.-भा.कृ.अ.स., क्षेत्रीय स्टेशन, इंदौर द्वारा विकसित रोटी बनाने के लिए उपयुक्त गेहूं की एक प्रजाति है, की पहचान उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र पर समय पर बुवाई व प्रतिबंधित सिंचाई स्थितियों के अंतर्गत जारी करने के लिए की गई है. HI 1620 प्रजाति का उपज लाभ 13.4% तक है.
लौह, जस्ता और प्रोटीन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों के उन्नत स्तर के साथ बायो-फोर्टीफाइड किस्मों का विकास, फसल सुधार प्रजनन कार्यक्रम में अनुसंधान का एक प्राथमिक क्षेत्र है.
पौष्टिक औषधीय मोटे अनाजों में उच्च लौह (72-113 PPM) और जस्ते की मात्रा (40-55 PPM) युक्त अनेकों प्रजातियाँ जैसे PPMI 903, PPMI 904, PPMI906, PPMI 952, PPMI 958 और PPMI 959 विकसित की गई हैं.
फसल विविधिकरण एवं दलहन उत्पादकता में वृद्धि हेतु, सुनिश्चित बढ़ोतरी, बौना कद और यांत्रिक कटाई के लिए अनुकूल अतिशीघ्र व शीघ्र पकने वाली अरहर की एक किस्म भी विकसित की गई है.
किसानों में गुणवत्ता युक्त बीजों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न फसलों के 928.30 क्विंटल ब्रीडर बीज सहित कुल 1554.23 क्विंटल गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन किया गया है. सहभागी बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत विभिन्न किस्मों के कुल 553.60 क्विंटल गेहूं के बीजों (TL) का उत्पादन किया गया.
बेसिक साइंसेस
पादप कार्यिकी संभाग में किए गए बुनियादी और रणनीतिक शोध कार्य में शुष्क एवं गर्मी के तनाव के प्रति सहिष्णु नवीन प्रदाताओं (Novel Doners) और नाइट्रोजन उपयोग दक्षता एवं अजैविक तनाव सहिष्णुता के लिए जीन और प्रोमोटरों की पहचान की गई है.
जीनोटाइप-फेनोटाइप के अंतर को कम करने के लिए "नानाजी देशमुख प्लांट फेनोमिक्स सेंटर" में फिनोमिक्स और जीनोम-वाइड एसोसिएशन विश्लेषण (GWAS) किया गया है. यांत्रिक अधिगम (machine learning) और कृत्रिम बुद्धि (artificial intelligence) आधारित विश्लेषण को फिनोम डेटा विश्लेषण में नियोजित किया जा रहा है. इसने धान और गेहूं के जर्मप्लाज्म किस्मों में क्रमशः चेक, नगीना 22 और C306 किस्मों की अपेक्षा 20% अधिक जल उपयोग दक्षता (WUE) की पहचान गई है.
बागवानी/औद्यानिकी
दिल्ली राज्य विविधता लोकार्पण समिति द्वारा अंगूर की संकर प्रजाति ‘पूसा अदिति’ को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वाणिज्यिक खेती के लिए जारी किया गया था. मीठे और बड़े अंगूरों की एक संकर प्रजाति- ‘पूसा स्वर्णिका’ (Hur x cardinal) 2018 के दीक्षांत समारोह के दौरान जारी की गई थी.
आम की पांच संकर प्रजातियां H-11-2, H-8-11, H-3-2, H-1-5 और NH-7-2 प्रभाव, उपज और छिलके के लाल रंग लाल में नियमितता के मामले में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. फल की वांछनीय गुणवत्ता को बड़े पैमाने पर प्रजनन और अग्रिम मूल्यांकन के लिए पहचाना गया है.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा देश के अन्य प्रमुख प्याज़ उत्पादक राज्यों में क्रमशः चैरी टमाटर की ‘पूसा चैरी टमाटर-1’तथा प्याज की ‘पूसा शोभा’ किस्मों को संरक्षित परिस्थितियों में उत्पादन हेतु CVRC द्वारा जारी कर अधिसूचित किया गया.
पौध सुरक्षा
प्राकृतिक जलस्नेही बहुलक और कार्बनिक अम्ल क्रास लिंक्ड हाइड्रोजन को नियोजित कर नवीन बायोजैल आधारित एन्टोमोपैथोजेनिक नेमाटोड एस.थरमोफिलियम का जैव नियंत्रक सूत्रीकरण विकसित किया गया है.
लिपिड चयापचय के माध्यम से ई.पी.एन. तरुण की उत्तरजीवित में वृद्धि हेतु भी एक नवीन युक्ति नियोजित की गई है. तैयार सूत्रिकरण के 35 डिग्री तापमान पर चार महीने से अधिक की शेल्फ लाइफ प्रदर्शित की जोकि अब तक की सर्वाधिक ज्ञात रेंज है.
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन
सीमांत व छोटे किसानों की आजीविका सुनिश्चित करने हेतु भा.कृ.अ.स. के सस्य विज्ञान संभाग द्वारा एक एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) मॉडल भी विकसित किया गया है. एक हेक्टेयर क्षेत्र पर विस्तारित यह एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल फसलोत्पादन, डेयरी, मत्स्य पालन, बत्तख पालन, बायोगैस संयत्र, फलोद्यान और कृषि वानिकी इत्यादि सभी के एकीकरण के माध्यम से वर्ष भर रोजगार सृजित करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है. जिससे की लगभग 628 व्यक्तियों को रोजगार देकर रु. 378784/हेक्टेयर/का लाभ प्रतिवर्ष कमाया जा सकता है.
सामाजिक विज्ञान
ICAR के विभिन्न संस्थानों पर उपलब्ध/विकसित विभिन्न ऑनलाइन संसाधनों तक पहुँच प्रदान कर कृषि पोर्टल (http://krishi.icar.gov.in) को समृद्ध किया जा रहा है.
आई.ए.आर.आई. द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के 600 से अधिक गावों सहित 120 क्लस्टर्स में “प्रयोगशाला से खेतों तक” प्रक्रिया के संबलन तथा किसान वैज्ञानिक इंटरफेस को प्रोत्साहन देने हेतु “मेरा गाँव मेरा गौरव” कार्यक्रम चलाया जा रहा है.
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